1898 में नवाब शाहजहां बेगम के बनवाए इस भवन में इंडो वेस्टर्न, यूरोपियन कला का मेल दिखता है। साथ ही एमपी टूरिज्म पर्यटकों को रायल फीलिंग देने के लिए प्रदेश के किलों को हेरिटेज होटल में तब्दील कर रहा है, जिसमें से बेहद खास है जबलपुर का रायल होटल है। हेरिटेज होटल को आने वाले समय में वैकेशंस की लिस्ट में आप जोड़ सकते हैं ये डेस्टिनेशंस, जिन्हें आप देखने तो जा सकते थे, लेकिन होटल बनने पर यहां ठहर भी सकेंगे।
रायल होटल, जबलपुर
विशेषता : 19वीं शताब्दी में बने इस महल को राजा गोकुलदास ने बनवाया था और अपनी नातिन को दहेज में दिया था। बाद में इसे ब्रिटिश सरकार को बेच दिया गया। यहां ब्रिटिश और यूरोपियन मेहमान रुका करते थे।
रूट : भोपाल से जबलपुर के लिए डायरेक्ट ट्रेन है। इसमें 7-8 घंटे का समय जबलपुर पहुंचने में लगेगा।
बलदेवगढ़ किला, टीकमगढ़
विशेषता : किले को राजा विक्रमादित्य सिंह बुंदेला ने 18वीं शताब्दी में बनवाया था। यह अपनी खास बनावट के लिए जाना जाता है। यहां किला सैनिकों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था, जहां राजा की देख-रेख में सैन्य प्रशिक्षण का काम चलता था। यहां गोले-बारूद और तोपों का भंडारण हुआ करता था।
रूट : भोपाल से टीकमगढ़ वाया रोड 5 घंटे में पहुंचा जा सकता है। टीकमगढ़ से 32 किलोमीटर दूर है यह किला।
क्योटी फोर्ट, रीवा
विशेषता : महल के पास 33 फीट ऊंचा क्योटी वाटर फाल है। क्योटी वंश के 18वें राजा वीर सिंह देव के बेटे नागमल देव ने बनवाया था। 1857 में किला उस युद्ध का साक्षी बना, जब ठाकुर रणमत सिंह और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच युद्ध छिड़ा, जिसमें हजारों ब्रिटिश सिपाही मारे गए।
रूट :B भोपाल से रीवा के लिए ट्रेन है। लान्ग ड्राइविंग का शौक है, तो करीब 10 घंटे का समय लगेगा। स्टेशन से क्योटी फोर्ट 43 किमी. दूर है।
साइट्स को 90 साल के लिए लीज पर दिया
प्रदेश की धरोहरों को हेरिटेज होटल्स में तब्दील करने की दिशा में काम शुरू हो गया है। मप्र के 6 किलों व महल है, कोशिश है कि महल व किलों के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ किए बिना इनको हेरिटेज होटलों में तब्दील किया जा रहा है। सभी किलों व महल 90 वर्ष के लिए लीज पर दी गई है। साथ ही कुछ और जगहों को चिन्हित किया गया है।
सुनील दुबे, डायरेक्टर आईपी, मप्र टूरिज्म बोर्ड