कोर्ट ने पाई बैंक की गलती
कोर्ट ने पाया कि कार्ड चोरी होने के बाद उसी दिन एपल स्टोर से 1 लाख 46 हजार 385 रुपये की खरीददारी की गई। अदालत को इसमें कोई विवाद नहीं मिला कि कार्ड सदस्य विवाद फॉर्म विपक्ष बैंक को दिया गया था। बैंक लॉस्ट कार्ड पॉलिसी के तहत अनधिकृत लेनदेन में इस्तेमाल की गई राशि को वापस करने में विफल रहा।उपभोक्ता आयोग ने माना कि विवादित लेनदेन शिकायतकर्ता का डेबिट कार्ड चोरी होने के बाद किया गया एक POS (पॉइंट ऑफ सेल) लेनदेन था। POS लेनदेन में पिन का इस्तेमाल जरूरी नहीं है। विपक्षी बैंक घटना के संबंध में कोई जांच रिपोर्ट देने में विफल रहा। यह भी साफ नहीं हुआ कि बैंक ने कोई जांच की या नहीं जबकि इसमें शामिल अन्य बैंक, सिटीबैंक ने पहले ही चोरी हुए कार्ड से किए गए अनधिकृत लेनदेन को उलट दिया था।
रिजर्व बैंक के नियमों का दिया हवाला
इन तथ्यों के मद्देनजर आयोग ने कहा कि RBI का सर्कुलर स्पष्ट रूप से कहता है कि तीसरे पक्ष के उल्लंघनों के मामलों में, जहां न तो बैंक और न ही ग्राहक दोषी है, और अगर ग्राहक तीन वर्किंग डे के भीतर अधिसूचना प्रदान करता है, तो दायित्व बैंक का होता है।इस मामले में शिकायतकर्ता ने उसी दिन बैंक को विधिवत सूचित किया था कि अनधिकृत लेनदेन हुआ है। लेकिन विपक्षी बैंक लेनदेन को उलटने में विफल रहा। इसलिए, आयोग ने बैंक को सेवा में कमी का दोषी पाया।