अमेरिकी संसद के निचले सदन में फंडिंग बिल पास:23 लाख कर्मचारियों की सैलरी इस पर निर्भर

अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रेप्रेसेंटेटिव से शुक्रवार को एक अस्थायी फंडिग बिल पारित हो गया है। इससे आखिरी वक्त में गवर्नमेंट शटडाउन टल गया है। अगर यह शटडाउन लागू हो जाता तो सरकार के पास कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे नहीं बचते।

हाउस ऑफ रेप्रेसेंटेटिव में रिपब्लिकन पार्टी का कंट्रोल है, लेकिन आंतरिक मतभेद की वजह से उन्हें शटडाउन से बचने के लिए डेमोक्रेट्स पर निर्भर रहना पड़ा।

रिपब्लिकन पार्टी के 170 सांसदों और डेमोक्रेटिक पार्टी के 196 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट दिया। जबकि 34 रिपब्लिकन सांसदों ने इस बिल के खिलाफ वोट दिया। इस तरह 34 के मुकाबले यह बिल 366 वोट से पारित हो गया।

अब यह बिल वोटिंग के लिए अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में जाएगा। जहां सांसदों के पास बिल पारित करने और संघीय एजेंसियों को चालू रखने के लिए आधी रात तक का वक्त है। अगर यह बिल सीनेट में पास नहीं हो पाता है तो शटडाउन शुरू हो जाएगा।

अगर अमेरिका में सरकारी शटडाउन लगता है तो 8.75 लाख कर्मचारियों को छुट्टी दी जा सकती है, जबकि इमरजेंसी सेवा में लगे 14 लाख कर्मचारियों को बिना वेतन के काम करना पड़ सकता है। पिछली बार 2018 में जब 35 दिनों तक शटडाउन रहा था तब 20 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए थे।

ट्रम्प की पार्टी में भी बिल को लेकर विरोध

इससे पहले अमेरिका के निचले सदन में गुरुवार रात को शटडाउन रोकने के मकदस से एक बिल लाया गया था। इस बिल को अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सहयोगी इलॉन मस्क के समर्थन से रिपब्लिकन पार्टी ने पेश किया था। हालांकि, विपक्षी डेमोक्रेट्स ने विरोध कर इसे गिरा दिया।

बिल को पास होने के लिए 435 सांसदों वाले हाउस से दो तिहाई यानी 290 वोटों की जरूरत थी। लेकिन समर्थन में 174 सांसदों ने ही वोट किया। जबकि इसके विरोध में 235 वोट पड़े। बिल का विरोध करने वालों में ट्रम्प की पार्टी के 38 सांसद भी शामिल रहे।

इससे पहले हाउस के स्पीकर माइक जॉनसन ने डेमोक्रेटिक पार्टी को साथ लेकर एक बिल तैयार किया था। हालांकि डोनाल्ड ट्रम्प और मस्क ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे पेश ही नहीं होने दिया था।

सरकारी खर्च चलाने के लिए संसद में बिल पास होना जरूरी

अमेरिका में सरकार के कर्ज की एक सीमा तय होती है। वह देश चलाने के लिए उससे ज्यादा उधार नहीं ले सकती है। बीते सालों में सरकार को कैशलेस होने से बचाने के लिए ये सीमा कई बार बढ़ी है। इसके लिए एक बिल अमेरिकी संसद हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में लाया जाता है।

मौजूदा बिल को ट्रम्प की ओर से लाया गया था, ताकि राष्ट्रपति बनने पर वे आसानी से देश चला सकें। इसे ही विपक्ष ने खारिज किया है। इसका सीधा मतलब है कि अमेरिका को खर्च के लिए पैसा नहीं मिलेगा।

एक बार बिल खारिज होने के बाद इसे दोबारा पास कराने के लिए आज यानी शुक्रवार तक का आखिरी समय है। इसके बाद भी बिल पास नहीं हुआ तो अमेरिकी सरकार के पास सरकारी खर्च के लिए पैसे नहीं बचेंगे।

ऐसी स्थिति में अमेरिका में शटडाउन लग सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर खराब असर पड़ेगा और आने वाली ट्रम्प सरकार पर दबाव बढ़ेगा।

कर्ज सीमा को बढ़ाने को लेकर विवाद

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका का बजट घाटा बहुत ज्यादा है। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार का खर्च उसकी कमाई से कहीं ज्यादा है। इसके चलते उसे अपने कामकाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है। हालांकि अमेरिकी सरकार जितना चाहे उतना कर्ज नहीं ले सकती है। इसके लिए एक कर्ज सीमा तय होती है। अमेरिकी सरकार अपने खर्चें का भुगतान इसी सीमा के भीतर कर पाती है। अमेरिका में कर्ज लेने की प्रक्रिया 1939 में शुरू हुई थी। लेकिन तब से अब तक कर्ज लेने की सीमा को 103 बार बढ़ाया जा चुका है। आखिरी बार मई 2023 में अमेरिकी सरकार की कर्ज लेने की सीमा 31.4 ट्रिलियन डॉलर यानी कि 26 लाख हजार करोड़ रुपए तय की गई थी। यह 1 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है। बाइडेन सरकार जो विधेयक ला रही थी, उसमें यह प्रावधान था कि 14 मार्च 2025 तक कर्ज सीमा को यूं ही बरकरार रखा जाए। उसके बाद की मामला ट्रम्प सरकार देखे।

ट्रम्प बोले- अगर शटडाउन होता है तो हो जाए

ट्रम्प और मस्क को इसी से आपत्ति है। ट्रम्प ने कहा कि संसद को कर्ज सीमा से छुटकारा पा जाना चाहिए या फिर इसे 2029 तक बढ़ा देना चाहिए। इसके बिना हम कोई भी समझौता नहीं करेंगे। ट्रम्प ने शुक्रवार सुबह इस मामले पर कहा था कि अगर शटडाउन होता है तो अभी हो जाए, 20 जनवरी के बाद नहीं। यह बाइडेन की समस्या है, लेकिन अगर रिपब्लिकन इसे ठीक करने में मदद कर सकते हैं तो करेंगे।

रिपब्लिकन पार्टी के कई सांसद ट्रम्प के कर्ज सीमा से पूरी तरह छुटकारा पाने की मांग से सहमत नहीं हैं। वे सांसद चाहते हैं कि कर्ज के सीमा के भीतर ही लिया जाए।

शटडाउन से अमेरिका पर क्या असर पड़ेगा 

बिल पास नहीं होने की वजह से अमेरिकी सरकार को खर्च के लिए पैसा नहीं होगा, यानी सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी से लेकर सरकार तमाम दूसरे खर्च नहीं कर पाएगी। कई सरकारी कर्मचारियों को नए साल पर वेतन नहीं मिलेगा। हालांकि इमरजेंसी सर्विसेज जैसे- मेडिकल सर्विस, सीमा सुरक्षा और हवाई सेवाएं जारी रहेगी।

अमेरिका में अगर शटडाउन होता है तो सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ेगी। यूएसए टुडे के मुताबिक इससे 20 लाख कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलेगी और गैर जरूरी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाएगा। इस कारण देश में कई संस्थान तब तक बंद हो सकते हैं।

अमेरिका में पिछले 50 साल में फंडिंग बिल अटकने की वजह से 20 बार शटडाउन हुआ है। ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में ही 3 बार सरकार को शटडाउन का सामना करना पड़ा था। 2019 का शटडाउन सबसे ज्यादा 35 दिन तक जारी रहा था, जिसमें अमेरिकी इकोनॉमी को 25 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

शटडाउन से मस्क पर क्यों लग रहा देश को बंधक बनाने का आरोप

इस हफ्ते की शुरुआत में स्पीकर जॉनसन ने 1500 पेज का बिल तैयार किया था। इस बिल में आपदा राहत के लिए 100 बिलियन डॉलर, कृषि के लिए 10 बिलियन डॉलर और सांसदों की वेतन बढ़ोत्तरी का प्रावधान था।

इसके विरोध में मस्क ने अपने ही सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर 150 से ज्यादा पोस्ट किए। मस्क ने कहा कि यह बिल हमें कमजोर करने के लिए लाया जा रहा है। हम कमजोर कदम से शुरूआत नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि ट्रम्प सरकार आने तक सदन में कोई भी बिल पास नहीं होना चाहिए।

अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स और CNN ने इस मामले पर मस्क की आलोचना की है। इसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अमेरिकी सरकार की फंडिंग का बिल पारित होने से रोककर देश को बंधक बना दिया है।

वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों ने कहा कि भले ही अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प बने हैं लेकिन असली ताकत मस्क के हाथों में आ गई है। गौरतलब है कि इलॉन मस्क न कभी अमेरिकी सांसद रहे हैं और न ही अभी वे सरकार में अहम पद पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें एक गैर संसदीय विभाग (DOGE) की जिम्मेदारी सौंपी है।


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