ATM खा रहा है यूपीआई! 5 साल में पहली बार कम हुए एटीएम, जानें गांवों में कितना रहा असर
नई दिल्ली: कम से कम पांच साल में पहली बार देश में एटीएम की संख्या में गिरावट आई है। सरकार ने सोमवार को संसद में यह जानकारी दी। दिलचस्प बात है कि महानगरों, शहरों और कस्बों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी एटीएम की संख्या में कमी देखी गई है। सितंबर 2024 के अंत में देश में एटीएम की संख्या 2,55,078 थी जबकि एक साल पहले यह 2,57,940 थी। इस तरह इनकी संख्या में 1% से थोड़ा अधिक गिरावट आई है। सबसे अधिक 2.2% की गिरावट ग्रामीण क्षेत्रों में देखी गई, जहां सितंबर के अंत में यह संख्या घटकर 54,186 रह गई। संसद में साझा किए गए आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान महानगरों में एटीएम की संख्या में 1.6% की गिरावट दर्ज की गई और यह संख्या 67,224 रह गई।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा कि सरकारी बैंकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बैंकों के एटीएम बंद करने के कारण हैं। इनमें बैंकों का एकीकरण, कम हिट, कमर्शियल वायबिलिटी की कमी, एटीएम का ट्रांसफर आदि शामिल हैं। बैंकरों ने कहा कि पेमेंट टूल के रूप में यूपीआई और कार्ड के उभरने से नकदी का यूज कम हो गया है। इस कारण एटीएम अव्यावहारिक हो गए हैं। उपभोक्ता सब्जियों से लेकर ऑटो की सवारी और यहां तक कि महंगी खरीदारी के लिए भी यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं।
यूपीआई का जलवा
चौधरी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत ने फाइनेंशियल इनक्लूजन और डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। जन धन योजना, यूपीआई के प्रसार और मोबाइल इंटरनेट को व्यापक रूप से अपनाने से ऐसा हुआ है। पिछले पांच वर्षों में यूपीआई लेनदेन में 25 गुना वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में यह 535 करोड़ था जो वित्त वर्ष 2023-24 में 13,113 करोड़ हो गया। वित्त वर्ष 2024-25 (सितंबर तक) में 122 लाख करोड़ रुपये के 8,566 करोड़ से अधिक यूपीआई ट्रांजैक्शन रजिस्टर्ड किए गए हैं।
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