आदिवासी संस्कृति की जड़ों से जुड़ने की पुकार
कार्यक्रम में विधायक भावना बोहरा ने कहा कि आदिवासी समाज भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं के संवाहक हैं। उनकी जीवनशैली प्रकृति, लोकदेवता और सामूहिकता पर आधारित रही है। बोहरा ने कहा कि “घर वापसी केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय अस्मिता और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा का संकल्प है। कुछ तत्व हमारे भोले-भाले जनजातीय भाइयों को प्रलोभन और भ्रम के जरिए उनकी जड़ों से तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार उनके मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने देगी।
उन्होंने कहा कि धर्मांतरण के नाम पर “नया नियम” जैसी किताबें बांटने वालों का उद्देश्य आदिवासियों की मदद नहीं, बल्कि उन्हें उनकी पहचान से दूर करना है।
विकास और सम्मान की राह पर वनांचल
विधायक बोहरा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में आदिवासी समुदाय के विकास के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। “प्रधानमंत्री जनमन योजना” के तहत वनांचल में सड़क, बिजली, पानी और आवास की सुविधाएँ पहुँच रही हैं। पंडरिया विधानसभा में अब तक 3000 से अधिक पीएम आवास स्वीकृत, 100 किलोमीटर से अधिक सड़कें निर्मित हो रही हैं, और पेयजल की आपूर्ति टैंकरों से नियमित की जा रही है।
आदिवासी समाज को सम्मान दिलाने की दिशा में, देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के रूप में “नए भारत” की भावना साकार हुई है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति जल, जंगल और जमीन की रक्षा करती है। इसे बचाना केवल सरकार का नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
घर वापसी आंदोलन की निरंतरता
गौरतलब है कि इससे पहले भी विधायक भावना बोहरा के प्रयासों से 70 से अधिक आदिवासी परिवारों ने घर वापसी की थी। अब यह संख्या बढ़कर 115 तक पहुँच गई है। जनजाति समाज के लोगों ने कहा कि उन्हें अब अपनी जड़ों से पुनः जुड़ने का गर्व महसूस हो रहा है।
समाजसेवियों और नेताओं ने की सराहना
समारोह में वरिष्ठ समाजसेवी हरीश लुनिया ने विधायक बोहरा की पहल को “आदिवासी अस्मिता के पुनर्जागरण” की दिशा में मील का पत्थर बताया। कबीरधाम जिला भाजपा अध्यक्ष राजेन्द्र चंद्रवंशी ने कहा कि यह “सिर्फ घर वापसी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का पुनर्जन्म” है। कार्यक्रम में बैगा जनजाति समाज के वरिष्ठजन, भाजपा के सभी मंडल अध्यक्ष, पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि, नगर पालिका एवं जनपद पंचायत के सदस्य, और बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित रहे।