जहरीला कफ सिरप पीने से सोमवार रात को एक और बच्चे की मौत हो गई। छिंदवाड़ा निवासी नवीन डेहरिया की डेढ़ साल की बेटी धानी डेहरिया ने नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। तामिया ब्लॉक के जूनापानी गांव में रहने वाले नवीन डेहरिया का कहना है कि धानी को भी कोल्ड्रिफ सिरप दिया गया था।
उसे 26 सितंबर को नागपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराने से पहले परासिया में उसका इलाज डॉ. प्रवीण सोनी ने ही किया था। इस मौत के साथ ही छिंदवाड़ा जिले में मृत बच्चों का आंकड़ा अब 15 पर पहुंच गया है जबकि कुल संख्या 17 हो गई है।
उधर, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या सीबीआई के जरिए गठित एक्सपर्ट कमेटी से कराने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को ड्रग रिकॉल पॉलिसी और टॉक्सिकोलॉजिकल सेफ्टी प्रोटोकॉल तैयार करने के निर्देश भी दिए जाएं। साथ ही अलग-अलग राज्यों में ऐसे मामलों में दर्ज सभी एफआईआर एक जगह ट्रांसफर करके पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए।
DEG और EG की बिक्री-निगरानी के नियम बनें याचिका लगाने वाले वकील विशाल तिवारी ने कहा है कि आरोपी कंपनी द्वारा बनाई गई सभी दवाओं की बिक्री और डिस्ट्रीब्यूशन पर तुरंत रोक लगाई जाए। केंद्र सरकार और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को देशभर में ऐसी दवाओं में डाय एथिलिन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलिन ग्लायकॉल (EG) की जांच कराने का आदेश दिया जाए। इन दोनों केमिकल की बिक्री और निगरानी के लिए सख्त नियम बनाए जाएं।
मध्य प्रदेश सरकार ने एसआईटी बनाई सीएम डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश के ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटा दिया है। उन्होंने खाद्य एवं औषधि प्रशासन के उपसंचालक शोभित कोष्टा, छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा और जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर शरद जैन को सस्पेंड करने के निर्देश भी दिए हैं। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संचालक दिनेश श्रीवास्तव को फूड और ड्रग कंट्रोलर का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।
सरकार ने मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई है। जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर शामिल हैं।
सरकार ने माना केमिकल टॉक्सिसिटी से हुई मौतें भोपाल में सोमवार को हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की बैठक में प्रमुख सचिव संदीप यादव ने बताया कि छिंदवाड़ा में बच्चों की मृत्यु के सभी पहलुओं की गहन जांच की गई। बच्चों के रीनल बायोप्सी रिपोर्ट में पाया गया कि मौत एक्यूट ट्यूबुलर नेक्रोसिस के कारण हुई, जो किसी केमिकल टॉक्सिसिटी की ओर इशारा करता है।
बैठक में तय हुआ कि अब डॉक्टर बच्चों को कोई भी सिरप लिखते समय अतिरिक्त सावधानी बरतेंगे। वहीं, फार्मेसी में बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवाओं की बिक्री को लेकर भी सरकार ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। बैठक में यह भी तय किया गया कि केंद्र और राज्य के दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
दो और कफ सिरप निकले जहरीले इस बीच दो और कफ सिरप री लाइफ और रेस्पिफ्रेस टीआर में खतरनाक केमिकल डायएथिलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा पाई गई है। ये दोनों सिरप गुजरात में बनाए गए हैं। मध्य प्रदेश फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की जांच रिपोर्ट में सोमवार को यह खुलासा हुआ है। यह वही केमिकल है, जो कोल्ड्रिफ कफ सिरप में मिले थे। अधिकारियों के अनुसार, दोनों सिरप पर तत्काल रोक लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
दरअसल, 26 से 28 सितंबर 2025 तक छिंदवाड़ा जिले में ड्रग इंस्पेक्टर्स की टीम ने मेडिकल स्टोर्स और अस्पतालों का निरीक्षण किया था। इस दौरान टीम ने कुल 19 दवाओं के नमूने जांच के लिए सरकारी प्रयोगशालाओं को भेजे थे। अब इनकी रिपोर्ट आ गई है।
गाइडलाइन के अनुसार कफ सिरप में अधिकतम 0.1 प्रतिशत डायएथीलिन ग्लाइकॉल की मौजूदगी स्वीकार्य है लेकिन जांच में 4 सिरप मानक पर खरे नहीं उतरे हैं। इन सिरप से किडनी फेल और ब्रेन डैमेज होने जैसी स्थितियां पैदा हो का खतरा है।
सबसे पहले इन पर लगा था बैन बच्चों की मौतों के बाद कोल्ड्रिफ (Coldrif) बैच नंबर SR-13 और नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS) बैच नंबर AQD-2559 कफ सिरप को बैन कर दिया गया। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इंदौर की आर्क फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के सिरप ‘डिफ्रॉस्ट’ के बैच नं. 11198 को बाजार से रिकॉल करने के निर्देश दिए।
मध्य प्रदेश सरकार ने क्लोरफेनिरामाइन मलेट (Chlorpheniramine Maleate) और फिनाइलफ्रिन एचसीएल (Phenylephrine HCl) जैसे केमिकल के उपयोग को लेकर विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं।