मध्य प्रदेश में पंचायत भवनों के नाम पर एक बार फिर आंकड़ों का खेल सामने आया है। तीन साल पहले तक राज्य में 22,291 पंचायतों में भवन दर्ज थे, लेकिन अब ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर सिर्फ 11,625 पंचायतों में ही भवन बताए जा रहे हैं। यानी विभाग के रिकॉर्ड से तीन साल में 11,386 पंचायत भवन “गायब” हो गए।
इसी बीच सरकार ने 814 करोड़ रुपए की लागत से 2,200 नए भवन बनाने की मंजूरी दे दी है। लागत 20 लाख से 37 लाख- एक साल पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने 1400 पंचायतों में भवन निर्माण की घोषणा की थी। बाद में संख्या बढ़ाकर 2200 कर दी गई।
इन पंचायतों को पहली किस्त के रूप में करीब 17.50 लाख रुपए दिए गए हैं, जबकि 123 पंचायतों को पूरे 37 लाख रुपए प्रति पंचायत मिल चुके हैं और काम पूरा भी हो गया है। पहले प्रति पंचायत 20 लाख रुपए की लागत तय थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 37 लाख रुपए कर दिया गया है।
जिनके पास पहले से भवन हैं, उन्हें भी मिली मंजूरी
भोपाल जिले की 6 पंचायतों — फंदा की कलखेड़ा, बैरसिया की परसोटा, बहरावल, जम्मूसर कला, धतूरिया और पारदी — को भी नया भवन मिला है। जबकि इनमें पहले से भवन मौजूद हैं। बैरसिया जनपद के असिस्टेंट इंजीनियर एम.एल. अहिरवार ने कहा, पुराने भवन जर्जर हो गए थे, इसलिए नए बनाए जा रहे हैं। अगले दो-तीन महीने में तैयार हो जाएंगे। राज्य के करीब 20 जिलों की पंचायतों को नए भवन स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से करीब 80% पंचायतों के पास पहले से भवन मौजूद हैं।
सरपंच-सचिव को मिली निर्माण की जिम्मेदारी इस बार भवन निर्माण की जिम्मेदारी पंचायत स्तर पर दी गई है। सरपंच को अब 25 लाख रुपए तक के कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति देने का अधिकार है, जबकि तकनीकी स्वीकृति के लिए सहायक यंत्री अधिकृत हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता की निगरानी और भी कठिन हो जाएगी।
कॉमन सर्विस सेंटर भी राज्य सरकार हर पंचायत भवन में कॉमन सर्विस सेंटर स्थापित करने की तैयारी भी कर रही है। इसके लिए पंचायत राज संचालनालय और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड के बीच एमओयू हुआ है। यहां से ग्रामीणों को लोक सेवा केंद्र, एमपी ऑनलाइन, बैंकिंग, बीमा, पेंशन और बिल भुगतान जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।
मांग के आधार पर चयन भारत सरकार की रिपोर्ट के बारे में मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन पंचायतों को भवन देने का अलग-अलग क्राइटेरिया होता है। मध्य प्रदेश में जिन पंचायतों को चुना गया है, वह मांग के अनुसार ही हुआ है। – गौरव पुष्प, डिप्टी डायरेक्टर, पंचायती राज संचालनालय