(जन्मदिन विशेष )

संस्कार, अनुशासन और प्रेम….संतान के भावी व्यक्तित्व की बुनियाद होते है, और माता-पिता ही इसके निर्माता होते हैं। माता-पिता का स्नेह, संरक्षण और मार्गदर्शन जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य होता है। माँ जहाँ ममता और भावनाओं की प्रतीक होती हैं, वहीं पिता अनुशासन, अनुभव और साहस के प्रतीक होते हैं। वे केवल संरक्षक ही नहीं, बल्कि हमारे पहले गुरु, पहले मित्र और पहले आदर्श भी होते हैं। उनकी उपस्थिति हमारे जीवन की राह को सरल और अर्थपूर्ण बना देती है। पिता सतत प्रेरणा स्त्रोत भी होते हैं । मेरे पिता ताहिर अली भी मेरे पहले मित्र, पहले गुरु और मेरी प्रेरणा के सतत स्त्रोत हैं।
जनसम्पर्क और मानवीय सम्बन्धों के माहिर
आज 03 अक्टूबर को मेरे पिता ताहिर अली अपना 71वाँ जन्मदिन मना रहे हैं। वे जनसम्पर्क और मानवीय सम्बन्धों के माहिर हैं, और अपनी गर्मजोशी और सहज व्यवहार से हर व्यक्ति को अपना बना लेते है। परिवार और समाज में उन्हें स्नेहपूर्वक ‘ ताहिर भाई’ और सम्मानपूर्वक ‘ ताहिर जी’ पुकारा जाता है। यह सम्बोधन उनके व्यक्तित्व की व्यापकता और उन्हें मिलने वाले आदर का प्रतीक है। उनकी संवेदनशीलता, समझ और सहयोगी भाव ने उन्हें हर उम्र और वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है। उनके जीवन के अनुभव, मार्गदर्शन और सकारात्मक सोच ही हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। हम उनके स्वस्थ और लम्बी आयु की कामना करते हैं।
हर जन्मदिन पर नया जोश, नया जोड़ा
मेरे पिता की जिन्दादिली आज भी बरकरार है। उम्र के इस पड़ाव पर पहुँचकर भी उनका उत्साह, ऊर्जा और जीवन के प्रति प्रेम देखते ही बनता है। वे हर छोटे-बड़े अवसर को पूरे मन से जीते हैं और अपने आसपास के लोगों में भी वही सकारात्मकता बाँटते हैं। आज भी अपने जन्मदिन पर वे नया जोड़ा पहनते हैं, जैसे हर साल वह दिन उनके लिए नया जोश और नई उमंग लेकर आता हो। यह केवल कपड़े बदलने की आदत नहीं, बल्कि जीवन को नए अंदाज़ में जीने की उनकी सोच का प्रतीक है। उनका आत्मविश्वास, सादगी और आत्मीयता उन्हें खास बनाती है। उनकी मुस्कान आज भी घर में खुशियाँ भर देती है और हमें सिखाती है कि उम्र चाहे जो भी हो, मन हमेशा युवा रहना चाहिए। पिता की यही आदतें हमें प्रेरित करती हैं कि जीवन के हर दिन को उत्सव की तरह मनाना चाहिए।
गिरने के बाद उठने की सीख हमें अपने पिता से ही मिलती है
पिता वह शक्ति हैं जो बच्चे को गिरने से तो बचाते ही हैं, साथ ही बच्चे को गिरने के बाद उठने की कला भी सिखाते हैं। मेरे पिता का व्यक्तित्व भी वास्तव में ऐसा ही बहुआयामी है। अपनी मददगार प्रवृत्ति और हंसमुख स्वभाव से हर जगह दिल जीत लेते हैं, वहीं अनुशासन पर उनका अडिग रहना उन्हें एक अलग पहचान देता है। यही सन्तुलन है, जिसने उन्हें परिवार और समाज दोनों में विशेष स्थान दिलाया है। वह मानते हैं कि सहयोग और खुली बातचीत से रिश्ते और समाज मजबूत होते हैं। यही कारण है कि लोग हर छोटे व बड़े मामले में उनकी राय और मार्गदर्शन को महत्व देते हैं। उनके जीवन का सबसे सुन्दर पहलू है, किसी के भी चेहरे पर मुस्कान ले आना। कठिन समय हो या खुशी के पल, ताहिर अली हमेशा सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं। इन गुणों ने उन्हें न केवल हमारे परिवार की प्रशंसा दिलाई है, बल्कि समाज में सम्मान भी दिलवाया है।
अनुशासन, सरलता और सेवा, उनके जीवन की पहचान है
ताहिर अली का जीवन अनुशासन, सरलता और सेवा का संगम है। उनका मददगार स्वभाव और खुशमिज़ाज अंदाज़ उन्हें सबका प्रिय बना देता है, वहीं सिद्धांतों और नियमों पर उनकी दृढ़ता ने उन्हें अलग पहचान दी है। वह दृढ़ता से मानते हैं कि बिना अनुशासन के न परिवार चल सकता है और न समाज, इसीलिए हम उन्हें एक मार्गदर्शक और शक्ति-स्तम्भ दोनों रुप में देखते हैं। आज भी समाज और राजनीति उनके अनुभव और समर्पण से लाभान्वित हो रहे हैं। वर्तमान में वह मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के मीडिया सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। यह उनके जनसम्पर्क कौशल और अनुभव की गहराई का प्रमाण है।
उनका जन्मदिन हमारे लिए केवल एक उत्सव नहीं बल्कि प्रेरणा का अवसर है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें स्वास्थ्य, दीर्घायु और हमारे परिवार व समाज को अपने स्नेह, अनुशासन और ज्ञान से मार्गदर्शन देने की क्षमता प्रदान करें।
उनके सान्निध्य से मुझे मिली है साहस और मूल्यों की विरासत
हम जीवन जब चुनौतियों से घिरते हैं, तब पिता का दिया साहस और संबल ही हमें मजबूत बनाता है। उनके संस्कार हमें सिखाते हैं कि न हार स्थायी होती है और न जीत; सिद्धान्तों और आत्मसम्मान की रक्षा करना ही असली विजय है। ईमानदारी से डटे रहना और आगे बढ़ना — यही सबसे बड़ा सबक मैंने अपने पिता से सीखा है।
मेरे पिता परिवार का सहारा ही नहीं बल्कि आजीवन प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने हमेशा दिखाया है कि धैर्य और मेहनत से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है। अपनी लगन, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों से उन्होंने सिखाया है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। बचपन से ही उन्होंने मुझे अनुशासन, समय का महत्व और दूसरों के प्रति संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाया। उनके संघर्षों और उपलब्धियों को देखकर ही मुझे हर कठिनाई को धैर्य और दृढ़ता से पार करने का आत्मविश्वास मिला।
चाहे पढ़ाई हो या जीवन के निर्णय, उन्होंने हमेशा मुझे सही मार्गदर्शन और सहारा दिया। उनका सरल जीवन और सकारात्मक दृष्टिकोण मुझे हर दिन प्रेरित करता है। सच में, मेरे पिता मेरे आदर्श, मेरे मार्गदर्शक और मेरे प्रेरणास्रोत हैं। उनका जीवन ही यह दर्शाता है कि असली सफलता धन या पद से नहीं बल्कि सरलता, ईमानदारी और अच्छे मूल्यों से मिलती है।
परिवार के लिए मार्गदर्शक छाया
पिता की उपस्थिति घर में सुरक्षा का एहसास कराती है, और उनकी बातें बच्चों के लिए मार्गदर्शन बन जाती हैं। मेरे पिता ने मेरे जीवन की नींव अनुशासन और मेहनत पर रखी है, उन्होंने मुझे सिखाया है कि सपने देखना जितना जरूरी है, उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना उतना ही जरूरी है।
उनके जन्मदिन पर मैं दिल से आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। उन्हीं के मार्गदर्शन ने मुझे आत्मविश्वास दिया है और जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाया है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे उन्हें लम्बी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य और खुशियों से भरा जीवन प्रदान करें।
पापा, आप मेरे जीवन के मार्गदर्शक प्रकाश-स्तंभ हैं। मेरी दुनिया आपके बिना अधूरी है। आपके संस्कार मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं और आपकी शिक्षाएँ मेरी सबसे बड़ी ताकत। आप मेरे लिए केवल पिता ही नहीं, बल्कि मेरे जीवन के सच्चे नायक हैं।
आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ, पापा!
आप हमेशा स्वस्थ, दीर्घायु और खुश रहें। आपका आशीर्वाद और प्रेरणा ही मेरे जीवन को पूर्ण और सार्थक बनाती है।

सय्यद असीम अली
(लेखक, पत्रकार और ताहिर अली के सुपुत्र है)