महीने में 80 हजार कमा कर भी एक पैसे नहीं बचा पाते, क्या इसके पीछे महंगाई जिम्मेदार है

नई दिल्ली: ‘सखी सइयां तो खूब ही कमात है महंगाई डायन खाये जात है’। आपने भी यह गीत सुना होगा। आपको भी ऐसा ही लगता है महंगाई की वजह से बचा नहीं पाते हैं? सीए (Chartered Accountant) अभिषेक वालिया का कहना है कि अच्छा कमाने वाले भी बचा नहीं पाते हैं, इसके पीछे आपकी आदत है। समझते हैं इनकी बात को।

अच्छी सैलरी मिलना अमीर की गारंटी नहीं

उस सीए का एक क्लाइंट पिछले पांच साल से हर महीने 80,000 रुपये कमा रहे थे, लेकिन उसकी कुल संपत्ति (Net worth) में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई। उसकी लाइफस्टाइल बिल्कुल आम थी – हर महीने घर का किराया चुकाना, किराने का सामान, EMI और कभी-कभी वीकेंड पर बाहर खाना-पीना। कोई दिखावा नहीं, कोई फिजूलखर्ची नहीं। फिर भी, पैसे कहीं न कहीं से निकल जाते थे। सीए कहते हैं कि समस्या उसकी कमाई में नहीं थी, बल्कि वह अपने पैसों को कैसे संभालता था, इसमें थी।

‘लाइफस्टाइल क्रीप’ है जिम्मेदार

वह बताते हैं कि लाइफस्टाइल क्रीप (Lifestyle creep) चुपके से आपकी दौलत खत्म कर देता है। देखा गया कि जब भी उसकी सैलरी बढ़ती थी, उसका खर्च भी बढ़ जाता था। जब 5,000 रुपये की मामूली सी इंक्रीमेंट होती थी, तब वह कोई नई सब्सक्रिप्शन ले लेता था। 10,000 रुपये की हाइक पर वह कोई महंगा गैजेट खरीद लेता था। बिना सोचे-समझे, छोटी-छोटी बढ़ोतरी धीरे-धीरे बड़े खर्चों में बदल जाती थी, जिससे असली बचत के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं बचती थी। यह एक ऐसी धीमी और अदृश्य लूट है जिस पर ज्यादातर लोग कभी ध्यान ही नहीं देते।

एक ऐसी व्यवस्था बनाना जो काम करे

सीए वालिया ने अपने क्लाइंट को सिर्फ इच्छाशक्ति पर निर्भर रहने के बजाय, एक आसान और व्यवस्थित सिस्टम बनाने में मदद की। जैसे ही उसकी सैलरी अकाउंट में आती थी, उसका 30% हिस्सा अपने आप SIP (Systematic Investment Plan) और इमरजेंसी फंड में निवेश हो जाता था। वह जरूरी खर्चों के लिए सिर्फ एक डेबिट कार्ड इस्तेमाल करता था और अपनी ऐशो-आराम की चीजों के लिए एक क्रेडिट कार्ड। हर महीने की समीक्षा (monthly check-ins) से खर्चों में हो रही लीकेज का पता चलता था और आदतों को सही रखने में मदद मिलती थी।

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