F-35 हुआ खराब, रूस-चीन ने उड़ाया मजाक… फिर भारत लौटा ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर, INS विक्रांत के साथ कर रहा युद्धाभ्यास

लंदन: भारत और यूनाइटेड किंगडम के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) पहली बार एक साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास कर रहे हैं। पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में आयोजित अभ्यास कोंकण 2025 में ब्रिटेन के HMS प्रिंस ऑफ वेल्स और भारत के INS विक्रांत ने हिस्सा ले रहे हैं। इस चार दिवसीय युद्धाभ्यास के पहले चरण का आयोजन 5 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक किया गया। इसके बाद अब इसका दूसरा चरण 9 से 12 अक्तूबर के बीच बंदरगाह पर आयोजित किया जाएगा। इसमें नौसेना कर्मियों के बीच पेशेवर बातचीत, क्रॉस-डेक दौरे, खेल कार्यक्रम और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होंगे।

HMS प्रिंस ऑफ वेल्स विवादों में क्यों

इस अभ्यास को इसलिए खास माना जा रहा है, क्योंकि ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर HMS प्रिंस ऑफ वेल्स कई विवादों के बाद दोबारा हिंद महासागर लौटा है। इस साल जून में हिंद महासागर में एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। उस समय इस एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़े एक F-35B लाइटनिंग II विमान को उड़ान के दौरान हाइड्रोलिक खराबी के कारण केरल के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी थी। इस विमान को पांच हफ्तों से ज्यादा समय तक हवाई अड्डे पर ही खड़ा रहना पड़ा, जिसके लिए ब्रिटेन से इंजीनियर भेजे गए थे।

जापान में खराब हुआ था दूसरा F-16

इस घटना के खत्म होने के बमुश्किल तीन हफ्ते बाद HMS प्रिंस ऑफ वेल्स को दूसरी बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जब 10 अगस्त को उसका एक दूसरे F-35B विमान को खराबी के कारण जापान में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। उस विमान को भी 37 दिनों तक ग्राउंडेड रहना पड़ा। इस विमान की मरम्मत ब्रिटेन-जापान की संयुक्त टीम ने किया, जिसे इवाकुनी एयर बेस स्थित अमेरिकी मरीन कॉर्प्स F-35B सुविधा से सहायता मिल रही थी। 16 सितंबर को विमान को बना लिया गया और उसे वापस HMS प्रिंस ऑफ वेल्स पर भेज दिया गया

रूस और चीन ने उड़ाया था मजाक

लगातार दो विमानों के खराब होने के कारण चीन और रूस की सरकारी मीडिया ने HMS प्रिंस ऑफ वेल्स का मजाक उड़ाया था। उन्होंने ब्रिटेन के इस युद्धपोत को तकनीकी गड़बड़ियों का ढेर बताया था। इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी लड़ाकू विमान F-35B की क्षमता पर भी सवाल उठाए थे

ऑपरेशन हाईमास्ट पर तैनात है HMS प्रिंस ऑफ वेल्स

HMS प्रिंस ऑफ वेल्स आठ महीने लंबे (अप्रैल-दिसंबर 2025) मिशन ऑपरेशन हाईमास्ट पर है। यह 2019 में ब्रिटिश नौसेना में शामिल होने के बाद से इस क्षेत्र में HMS प्रिंस ऑफ वेल्स की सबसे लंबी उपस्थिति है। इसकी तैनाती 24 मई 2025 को स्वेज नहर और लाल सागर को पार करने और जून 2025 की शुरुआत में हिंद महासागर में प्रवेश करने के साथ शुरू हुई। इसके बाद, एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स के नेतृत्व में सीएसजी जुलाई में अभ्यास टैलिसमैन सेबर में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया गया। इस युद्धाभ्यास के खत्म होने के बाद HMS प्रिंस ऑफ वेल्स जापानी और अमेरिकी नौसेना के साथ युद्धाभ्यास किया।

ऑपरेशन हाईमास्ट का उद्देश्य क्या है

इसके बाद HMS प्रिंस ऑफ वेल्स दक्षिण कोरिया और फिर कोंकण 2025 में भाग लेने के लिए हिंद महासागर की ओर बढ़ा। विडंबना यह है कि ऑपरेशन हाईमास्ट के साथ कैरियर स्ट्राइक ग्रुप 25 (सीएसजी25) का एक लक्ष्य ब्रिटेन के एफ-35बी बेड़े की पूर्ण परिचालन क्षमता की घोषणा करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटेन की सुरक्षा प्रतिबद्धताओं की पुष्टि करना था। रॉयल एयर फ़ोर्स (आरएएफ) ने एक बयान में कहा कि ऑपरेशन हाईमास्ट का "प्राथमिक उद्देश्य यूनाइटेड किंगडम और उसके सहयोगियों की रणनीतिक क्षमताओं को दर्शाना और सुदृढ़ करना है, जिससे विविध वैश्विक खतरों से निपटने के लिए तैयारी सुनिश्चित हो सके।

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