लो प्रेशर एरिया (निम्न दबाव क्षेत्र) और साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवात) के असर से मध्यप्रदेश में अगले 2 दिन भी बारिश होने के आसार है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर में बूंदाबांदी और बादल छाएंगे तो पश्चिमी हिस्से में हल्की बारिश भी हो सकती है। इससे पहले रविवार को कई जिलों में धूप खिली।
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया, रविवार को उत्तर-पूर्वी हिस्से में एक निम्न दाब का क्षेत्र और एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम की एक्टिविटी देखने को मिली। जिसका असर अगले दो दिन यानी, सोमवार और मंगलवार को बना रहेगा।
यहां दिखेगा सिस्टम का असर
अगले दो दिन तक भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, ग्वालियर, सागर और जबलपुर संभाग के 30 से अधिक जिलों में सिस्टम का असर देखने को मिलेगा। यहां पर बादल, आंधी, गरज-चमक और बारिश वाला मौसम रहेगा।
दिन के पारे में 2.9 डिग्री तक बढ़ोतरी
रविवार को ज्यादातर शहरों में धूप खिली रही। इस वजह से दिन के तापमान में 1 से 2.9 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई। भोपाल में पारा 31.1 डिग्री पहुंच गया। इंदौर में 30.1 डिग्री, ग्वालियर में 31 डिग्री, उज्जैन में 30 डिग्री और जबलपुर में 29.8 डिग्री रहा। वहीं, दतिया, गुना, नर्मदापुरम, खंडवा, रतलाम, श्योपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, खजुराहो, मंडला, नौगांव, सतना, उमरिया में पारा 30 डिग्री या इससे अधिक दर्ज किया गया।
कल से वेस्टर्न डिस्टरबेंस, प्रदेश में ठंड बढ़ेगी
4 नवंबर की रात से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) एक्टिव होने का अनुमान है। एमपी में इसका 48 घंटे के बाद असर देखने को मिलेगा। उत्तरी हवाएं चलने से दिन में भी पारा लुढ़क सकता है।
अक्टूबर में 121% बारिश ज्यादा, नवंबर में तेज ठंड का ट्रेंड
प्रदेश में नवंबर महीने में पिछले 10 साल से ठंड के साथ बारिश का ट्रेंड भी है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहेगा। वहीं, बारिश के लिहाज से अक्टूबर का महीना उम्मीदों पर खरा उतरा है। औसत 2.8 इंच पानी गिर गया, जो सामान्य 1.3 इंच से 121% ज्यादा है।
वहीं, भोपाल में दिन ठंडे रहे। 30 अक्टूबर को दिन का तापमान 24 डिग्री रहा। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 25 साल में अक्टूबर का यह सबसे ठंडा दिन रहा। उज्जैन, छतरपुर, नरसिंहपुर समेत कई
शहरों में पारा 24 डिग्री के नीचे ही रहा।
इंदौर में 10 साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा बारिश
अक्टूबर में बारिश के रिकॉर्ड की बात करें तो दो साल बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा पानी गिरा। भोपाल में 2.8 इंच, जबलपुर में 3.3 इंच, ग्वालियर में 4.2 इंच और उज्जैन में 2.1 इंच बारिश दर्ज की गई। साल 2022 में इससे ज्यादा बारिश हुई थी। वहीं, इंदौर में 3.4 इंच पानी गिरा। यहां 10 साल में दूसरी बार अक्टूबर में इतनी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।
ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाले जिले में श्योपुर नंबर-1 पर है। यहां 6.52 इंच, झाबुआ में 5.52 इंच, सिंगरौली में 5.35 इंच, सीधी में 5 इंच, उमरिया में 4.14 इंच, अनूपपुर में 4.82 इंच, बड़वानी में 4.21 इंच और भिंड में 4.36 इंच बारिश हो गई। प्रदेश का खंडवा ही एक मात्र ऐसा जिला रहा, जहां सामान्य से कम पानी गिरा। बाकी 53 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
इस बार मानसून भी बेहतर रहा
इस बार प्रदेश में मानसून की भी ‘हैप्पी एंडिंग’ रही। भोपाल, ग्वालियर समेत 30 जिले ऐसे रहे, जहां ‘बहुत ज्यादा’ बारिश दर्ज की गई। ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला गुना है। जहां पूरे सीजन 65.7 इंच पानी गिर गया, जबकि श्योपुर में 216.3% बारिश हुई। एक्सपर्ट की माने तो अच्छी बारिश होने से न सिर्फ पेयजल बल्कि सिंचाई के लिए भी भरपूर पानी है। भू-जल स्तर भी बढ़ा रहेगा। हालांकि, शाजापुर ऐसा जिला रहा, जहां सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) ही बारिश हुई है।
अब जानिए नवंबर में कैसा रहेगा मौसम
मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंड का असर बढ़ेगा। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में, जहां उत्तरी हवाएं सीधी आती हैं, वहां पारा लुढ़केगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में रात का टेम्प्रेचर रिकॉर्ड 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।
उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम पारा रिकॉर्ड 2.3 डिग्री तक जा चुका है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में इस महीने बारिश का ट्रेंड है। इस बार नवंबर के पहले सप्ताह में ही बारिश होने के आसार है। तीसरे और चौथे सप्ताह में सिस्टम एक्टिव होने से भी बारिश हो सकती है।