मप्र में 30 महीने पहले शुरू हुई लाड़ली बहना योजना में महिलाओं को अब हर माह 1500 रुपए मिलेंगे। बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिवनी में आयोजित एक कार्यक्रम में लाड़ली बहनों के खाते में 1500 रुपए की किस्त ट्रांसफर की।
अब तक हितग्राही महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए दिए जाते थे। सीएम ने कुल 1 करोड़ 26 लाख 36 हजार महिलाओं के खाते में 1857 करोड़ रुपए एक साथ ट्रांसफर किए। सीएम ने महिलाओं से कहा कि आज दिवाली भी मन गई और रक्षाबंधन भी।
सीएम ने सीख दी कि महिलाएं इस राशि का उपयोग खुद के व्यवसाय में, बच्चों की शिक्षा में करें। यह भी कहा कि जो महिलाएं कारखानों में नौकरी करेंगी, उन्हें सरकार अलग से 5 हजार रुपए महीने की राशि हर महीने देगी। सीएम ने यह भी कहा कि 2028 के चुनाव में राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू हो सकता है।
सीएम ने बहनों से सीधा संवाद किया। उन्होंने लाड़ली बहनों के पति को जीजाजी कहते हुए कहा कि योजना की राशि से वे शराब तो नहीं पीते।
कर्मचारी-अफसर अच्छा काम करते हैं, तो उनके लिए ताली बजनी चाहिए
नगर पंचायत के, जिला पंचायत के, नगर के, सरकार के सारे अधिकारी अच्छा काम करते हैं। आप बहनों के काम में कोई परेशानी तो नहीं आ रही। जो भी हो खुलकर बोलना- डरना नहीं… आपके भाई की सरकार है। हमारे सचिव, रोजगार सचिव, पुलिसवाले… जो अफसर अच्छा काम करते हैं उनके लिए ताली बजनी चाहिए। उनकी हम तारीफ करते हैं। लेकिन जो गलती करता है उसे रोकना पड़ेगा कि नहीं। सरकार ऐसे लोगों पर सख्ती करती है।
कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में बुधवार को हुए ऑल इंडिया एनजीओ मीट में सामने आया कि मप्र में आदिवासियों के लिए सरकारी योजनाओं और इनके जमीनी हालात के बीच भारी अंतर है। एक एनजीओ प्रतिनिधि ने बताया कि ग्रामीण इलाके में लड़कियों को सेनेटरी पैड खरीदने के लिए उनके पिता के खाते में राशि दी जाती है, जो दूसरे काम में इस्तेमाल हो जाती है।
राशि मिल भी जाए तो आसपास न मेडिकल स्टोर मिलता है। कॉन्क्लेव में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और वन अधिकारों को लेकर अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए। पहले समस्याओं को समझा गया और फिर शाम को राज्यपाल के सामने उनके समाधान पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया और कहा कि एनजीओ लोगों के बीच आत्मा से काम करते हैं। सरकारी सिस्टम रोबोट की तरह काम करता है।