झांसी में गर्लफ्रेंड को गोली मारी, भोपाल एम्स में भर्ती:पैर बेजान, पिता बोले- डॉक्टर भी नहीं बता रहे, चल पाएगी या नहीं

भोपाल, झांसी की बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के सामने जिस युवती को गोली मारी गई, वह भोपाल एम्स में भर्ती है। उसका 3 घंटे तक ऑपरेशन चला।

डॉक्टरों ने रीढ़ की हड्‌डी के पास फंसी हुई गोली को तो निकाल दिया, लेकिन छात्रा कृतिका चौबे (20) के दोनों पैर सुन्न (बेजान) बताए जा रहे हैं। वह चल सकेगी या नहीं, ये अब घाव भरने के बाद ही क्लियर हो सकेगा।

एम्स के डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन के बाद रीढ़ की हड्‌डी में छल्ले डाले हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि गोली ज्यादा देर तक रीढ़ की हड्‌डी में फंसने की वजह से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ गया था। बता दें, छात्रा को उसके बॉयफ्रेंड ने गोली मारी थी। इसके बाद आरोपी ने सुसाइड कर लिया।

पहले कृतिका के परिवार की बात

घर पर ताला, परिवार भोपाल में इलाज करवा रहा कृतिका चौबे का घर ललितपुर शहर के तालाबपुरा मोहल्ले में है। वह बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में MBA फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। उसने इसी साल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। वह यूनिवर्सिटी कैंपस के PG हॉस्टल में रहती थी। परिवार में 3 बहनों में कृतिका दूसरे नंबर की बेटी थी।

हमें कृतिका के घर पर लॉक लगा हुआ मिला। पड़ोसियों ने बताया कि उनका परिवार इलाज के लिए भोपाल गया हुआ है। हमने इसके बाद कृतिका के पिता गौरी शंकर से फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ है, मगर बेटी चल पाएगी या नहीं, ये अभी डॉक्टर भी नहीं बता पा रहे। वो कहते हैं कि धीरे-धीरे घाव भरेंगे। उसके बाद ही पैरों के मूवमेंट की कंडीशन साफ हो सकेगी।

अब मनीष के परिवार की बात

मनीष, कृतिका साथ पढ़े, स्कूल में दोस्ती हुई कृतिका के पिता से बात करने के बाद हम मनीष साहू (25) के घर पहुंचे। वो भी उसी मोहल्ले का रहने वाला था। ललितपुर में दोनों की प्राइमरी एजुकेशन साथ हुई थी। एक ही मोहल्ले के होने के नाते साथ में आना-जाना भी था।

परिवार के करीबी लोगों ने बताया, 2018 से दोनों के बीच अफेयर हुआ था। एजुकेशन लाइफ में दोनों ने एक साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं। लेकिन प्रॉब्लम तब शुरू हुई, जब मनीष ने 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। इसी वजह से उसकी जॉब भी नहीं लगी।

मनीष समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता था। वह लोहिया वाहिनी विंग से जुड़ा था। छात्र सभा का पूर्व नगर अध्यक्ष भी रह चुका था। मनीष के खिलाफ मारपीट की 3 एफआईआर भी लिखी गई थी, ये सभी अलग-अलग मामलों की हैं।

मनीष को पता था कि कृतिका से शादी तभी हो सकती है, जब वह पैसे कमाने लगे। मनीष ने तभी एक सरकारी विभाग की कार चलाने की जॉब कर पकड़ ली, लेकिन कृतिका को ये कतई मंजूर नहीं था।

मां बोलीं- कृतिका हमारे घर कभी नहीं आई मनीष के घर पर हमारी मुलाकात उसकी मां रामसखी से हुई। हमने पूछा- 9 नवंबर को क्या हुआ था? वह कहती हैं- सुबह मनीष जल्दबाजी में घर से निकला था। मैंने पूछा भी था कि कहां जा रहे हो। लेकिन उसने जवाब नहीं दिया। फिर शाम को 4 बजे झांसी से पुलिस वालों की कॉल आई कि यहां घटना हुई है।

हमने पूछा- कभी कृतिका आपके घर आई थी? उन्होंने कहा- नहीं, उनके संबंधों के बारे में हमें तो कुछ पता ही नहीं था। कृतिका हमारे घर कभी भी नहीं आई। मनीष ने कभी हमें उसके बारे में बताया भी नहीं। मुझे इस बात का दुख है कि हमें कम से कम बताना चाहिए था कि परेशानी क्या है। परिवार के लोग कुछ सोचते या कुछ बात करते।

पिता बोले- बेटा नहीं रहा, इससे ज्यादा दुख क्या होगा मनीष ने कृतिका को गोली मारने के बाद खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। मनीष का शव 10 नवंबर को ललितपुर पहुंचा। गोविंद सागर बांध की तलहटी स्थित सीतापाठ के निकट अस्थाई श्मशान घाट पर रात 9 बजे उसका अंतिम संस्कार किया गया।

मनीष के चचेरे भाई ने उसे मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में मनीष के दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसी सहित लगभग 50 लोग शामिल हुए। घर पर भी मोहल्ले की महिलाएं और रिश्तेदार मौजूद थे। बुंदेलखंड की परंपरा के अनुसार, बेटे की अंतिम यात्रा में पिता शामिल नहीं होते हैं। इसी कारण मनीष के पिता अपनी 5 साल की पोती को गोद में लिए घर पर ही बैठे रहे।

हमसे बातचीत के दौरान उन्होंने कहा- 20 साल पहले बस एक्सीडेंट में एक हाथ कट गया। मैं पेशे से कारपेंटर था। अब मेरा बेटा भी चला गया। इससे बड़ा दुख क्या हो सकता है।

3 महीने पहले मनीष ने पत्नी को तलाक दिया परिवार के लोगों ने बताया कि एक साल पहले मनीष की भावना से शादी कर दी गई थी। मगर ये शादी मनीष को मंजूर नहीं थी। उसने पत्नी को अपनाने से मना कर दिया। शादी के 2 महीने बाद ही पत्नी से नाता तोड़ दिया। परिवार से झगड़ा करके 3 महीने पहले पंचायत बुलाकर उसने पत्नी को तलाक दे दिया।

अब मर्डर की प्लानिंग की कहानी जानिए….

भले ही मनीष ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था, लेकिन कृतिका ने मनीष से दूरी बना ली थी। वहीं, मनीष किसी भी कीमत पर उसे छोड़ना नहीं चाहता था। कृतिका उससे बात नहीं कर रही थी। उसने मनीष का नंबर भी ब्लॉक कर दिया था। इससे वह डिप्रेशन में चला गया और कृतिका के हॉस्टल के आसपास घूमने लगा था।

पुलिस ने जब दोनों के परिवारों से बात की, तो सामने आया कि दीपावली पर मनीष और कृतिका झांसी में मिलने आए थे। तब कृतिका ने मनीष को बता दिया था- अब हमारी आगे से बात नहीं होगी। तुम भले ही अपनी पत्नी को छोड़ रहे हो, मगर मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती।

मगर मनीष उसे बार-बार फोन करके आखिरी बार मिलने के लिए बुला रहा था। पुलिस को कृतिका के मोबाइल में मनीष के नंबर से लगातार कॉलिंग मिली है।

कृतिका के दोस्तों से एक बात और पता चली कि एक दिन क्लास में कृतिका का मोबाइल लगातार बज रहा था, वो फोन नहीं उठा रही थी। अचानक कृतिका झल्ला गई, उसने फोन उठाया और बुरी तरह से डांट दिया। यहां तक कहा कि अगर अब फोन किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। बाद में पता चला कि ये कॉल मनीष ही कर रहा था।

7 नवंबर को मनीष ने फिर कृतिका को कॉल करके कहा- मैं अब दिल्ली जा रहा हूं। तुम्हें कभी परेशान नहीं करूंगा। अब हमारे रास्ते अलग-अलग होंगे। मगर उससे पहले एक बार मिल लेते हैं। इस वजह से कृतिका मिलने के लिए राजी हो गई। दोनों के बीच मुलाकात के लिए कॉलेज की छुट्‌टी वाला दिन 9 नवंबर रविवार को तय हुआ।

आखिरी बार मिलने के बहाने उसने कृतिका को बुलाया। 9 नवंबर को दोनों हवाना रेस्टोरेंट में गए और नूडल, बर्गर और फ्रेंच फ्राई खाया। फिर यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहां दोपहर 2:15 बजे मनीष ने कृतिका को गोली मारकर सुसाइड कर लिया था।

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