अंता उपचुनाव में कांग्रेस का ग्राफ ऊपर, गहलोत की रैली बनी गेमचेंजर, पढ़ें कैसे चली ‘जादूगरी’

बारां: अंता उपचुनाव में जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे तस्वीर साफ होती जा रही है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रैली को लेकर जिस राजनीतिक हलचल का अंदेशा था, वह अब परिणामों में दिखाई देने लगा है। माना जा रहा है कि गहलोत की सभा ने अंतिम समय में माहौल बदला और कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया को सीधा फायदा मिलता दिख रहा है। स्थानीय स्तर पर जिस सैनी(माली) वोट बैंक को बीजेपी अपना मजबूत आधार मानकर चल रही थी, उसमें गहलोत की रैली ने सेंध लगाई और कांग्रेस के लिए रास्ता आसान कर दिया।

बीजेपी ने मोरपाल सुमन को टिकट देकर स्थानीयता और जातीय समीकरण को साधने की रणनीति अपनाई। सुमन माली समाज से आते हैं, जिसका अंता क्षेत्र में मजबूत प्रभाव बताया गया। उन्हें लो-प्रोफाइल और जनसेवक नेता के रूप में पेश करते हुए पार्टी ने उम्मीद जताई थी कि यह छवि वोटरों को आकर्षित करेगी, जैसा संकेत प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी दिया था। लेकिन इसी समाज के एक मात्र विधायक होने का दावा करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दांव बीजेपी की उम्मीदों पर भारी पड़ा।

अंता उपचुनाव में अशोक गहलोत की रैली से बदला समीकरण

अंता उपचुनाव के लिए प्रचार के अंतिम दिन अशोक गहलोत ने जिस आक्रामक अंदाज में स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवार के पक्ष में माहौल बनाया, उसका प्रभाव कई बूथों पर देखने को मिल रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस समुदाय पर बीजेपी को भरोसा था, वहां कांग्रेस ने उम्मीद से ज्यादा समर्थन हासिल किया। यही वजह है कि शुरुआती रुझानों से लेकर दसवें राउंड तक कांग्रेस प्रत्याशी लगातार बढ़त बनाए हुए हैं।

20 में से 10 राउंड की गिनती पूरी, कांग्रेस बरकरार बढ़त पर

अब तक कुल 20 राउंड में से 10 राउंड की मतगणना पूरी हो चुकी है। इन दस राउंड में कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया पहले स्थान पर बने हुए हैं और बढ़त धीरे-धीरे मजबूत होती दिख रही है। मतगणना केंद्र से मिल रहे आंकड़ों के अनुसार, हर दौर के साथ कांग्रेस का ग्राफ स्थिर है, जबकि बीजेपी के मोरपाल सुमन अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पा रहे।

बीजेपी के वोट बैंक में सेंध, कांग्रेस को मिला सीधा फायदा

बीजेपी जिस सामुदायिक समीकरण के भरोसे चुनाव मैदान में उतरी थी, वह उम्मीद के अनुरूप नहीं बैठ पाया। माली-सैनी समाज के बड़े हिस्से का समर्थन खिसकने से कांग्रेस को निर्णायक बढ़त बनाने का मौका मिला। कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं का दावा है कि गहलोत की मौजूदगी ने न सिर्फ कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरी, बल्कि undecided वोटरों पर भी असर डाला।

अभी भी उलटफेर की संभावना बरकरार

हालांकि कांग्रेस की बढ़त मजबूत जरूर दिख रही है, लेकिन मतगणना के अभी 10 राउंड बाकी हैं। चुनावी गणित में अंतिम चरणों में उलटफेर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। कई बार डाक मतपत्र और शहरी क्षेत्रों के बूथ परिणामों को प्रभावित करते हैं। ऐसे में सभी की निगाहें अंतिम राउंड पर टिकी हैं।

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