बीजिंग: चीन की सेना भारत के बॉर्डर के पास बड़े पैमाने पर निर्माण कर रही है। चीनी आर्मी तिब्बती पठार पर नए बड़े एयरफील्ड और दूसरी सुविधाएं तैयार कर रही है। इससे उसकी पहुंच हिमालय के ऊपर मुश्किल पश्चिमी सीमा तक बढ़ जाती है। चीन तिब्बत के पठार पर ना सिर्फ सैन्य बल्कि नागरिक उपयोग वाली सुविधाओं का भी नेटवर्क खड़ा कर रहा है। इससे युद्ध या संघर्ष जैसी स्थिति में चीनी सेना की पहुंच यहां आसानी से हो सकेगी।
वॉल स्ट्रीट जनरल (WSJ) ने अपनी रिपोर्ट में सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए ये खुलासा किया है। WSJ ने सैटेलाइट इमेज के आधार पर बताया है कि ल्हुंजे, बुरंग और टिंगरी में तीन नई डुअल यूज फैसिलिटी बन रही हैं। इनमें कम से कम 72 एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर खड़े होने की सुविधा होगी। यह क्षेत्र में चीन की सैन्य क्षमता को कई गुना बढ़ाता है।
चीन का नया निर्माण
भारत की सीमा के पास चीन की ये नई फैसिलिटी समुद्र तल से 14,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। इंजीनियरों को यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है कि रनवे ठंड से फटे नहीं। यह काम चीनी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी चाइना एयरपोर्ट कंस्ट्रक्शन ग्रुप कर रहा है।
मुश्किल हालात में काम
चीन ने पिछले एक दशक में लगातार निर्माण किए हैं। इन सुविधाओं का निर्माण खतरनाक परिस्थितियों में किया जा रहा है। चीनी श्रमिकों को ऊंचाई की बीमारी, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, चक्कर आना और नाक से खून बहने जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
चीन का यह क्षेत्र भारत के साथ उसकी लंबी विवादित सीमा के ऊपर स्थित है। 2017 में दोनों देशों के गतिरोध और 2020 में घातक झड़पों के बाद चीन ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति तेजी से बढ़ाई है। आज के समय में चीन के कम से कम आठ हवाई अड्डे और हेलीपोर्ट सीमा के करीब स्थित हैं।