पुलिस से धक्का-मुक्की:वर्मा के खिलाफ पहली बार सड़क पर ऐसा आक्रोश

आईएएस अफसर संतोष वर्मा के खिलाफ असंतोष खत्म नहीं हुआ है। रविवार को सपाक्स, करणी सेना, कायस्थ समाज संगठन सहित ब्राह्मण और सवर्ण संगठनों ने राजधानी की सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराया।

रोशनपुरा चौराहे से सीएम हाउस घेरने निकले प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रवींद्र भवन के पास रोक लिया। बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश के बाद पुलिस ने वाटर कैनन चलाया। धक्का-मुक्की में महिलाओं और बुजुर्गों को चोटें आईं। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें रातीबड़ ले जाया गया। शाम तक सभी को रिहा कर दिया गया।

सपाक्स के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने ज्ञापन में वर्मा पर एफआईआर और गिरफ्तारी की मांग करते हुए सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है। सपाक्स के राष्ट्रीय महासचिव सुरेश शुक्ला ने कहा- जीएडी ने केंद्र के कार्मिक विभाग को जो पत्र भेजा है, वह शासकीय पत्र से ज्यादा ज्ञापन लग रहा है।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन

इधर, वर्मा के समर्थन में भी आए संगठन, कहा- कार्रवाई संविधान के खिलाफ है

इधर, संतोष वर्मा के खिलाफ की गई कार्रवाई के विरोध में एससी/एसटी/ओबीसी संयुक्त संगठन ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। संगठन का आरोप है कि 23 नवंबर को अजाक्स अधिवेशन में दिए गए 27 मिनट के संवैधानिक और समरसता आधारित भाषण को जानबूझकर 7 सेकंड की क्लिप को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। बिना निष्पक्ष जांच के वर्मा को पद से हटाना संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 21 और 46 के खिलाफ है।

पूर्व पदस्थापना पर बहाल करने की मांग… ज्ञापन में वर्मा को पूर्व पदस्थापना पर बहाल करने, विभागीय कार्रवाई रोकने, एसी/एसटी/ओबीसी बैकलॉग भर्ती, प्रमोशन में आरक्षण, 27% ओबीसी आरक्षण का पूर्ण क्रियान्वयन, धमकियों पर एफआईआर और स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। संगठन ने 18 जनवरी को 5 लाख लोगों के जुटने का ऐलान किया है।

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