नई दिल्ली: भारत का रिटेल सेक्टर इन दिनों चमक रहा है, जबकि पश्चिमी देशों में शॉपिंग मॉल बंद हो रहे हैं। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक (Anarock) के मुताबिक भारत में रिटेल सेक्टर में नई जान आ गई है। साल 2020 से अमेरिका में लगभग 1200 मॉल स्टोर बंद हो चुके हैं। खाली पड़े मॉल की बढ़ती संख्या के कारण लगभग 40% मॉल को या तो दोबारा जोन किया जा रहा है या उनका इस्तेमाल किसी और काम के लिए किया जा रहा है।
भारत में मजबूत खपत के रुझान और निवेशकों की बढ़ती रुचि के कारण रिटेल सेक्टर में फिर से तेजी देखी जा रही है। यह भरोसा निवेश के रूप में दिख रहा है। एनारॉक ग्रुप के सीईओ अनुज केजरीवाल के अनुसार, अगले तीन सालों में भारतीय शॉपिंग मॉल में 3.5 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि 88 से ज्यादा विदेशी ब्रांड भारतीय रिटेल मार्केट में आ चुके हैं और वे तेजी से विस्तार करना चाहते हैं। कई और ग्लोबल ब्रांड पाइपलाइन में हैं और मौजूदा ग्रेड-ए संपत्तियों में जगह तलाश रहे हैं, जो बहुत सीमित हैं।
भारत में तेजी का कारण
भारत के रिटेल सेक्टर की अपील का मुख्य कारण है यहां की युवा आबादी और संगठित रिटेल में कम प्रतिस्पर्धा। एनारॉक ने बताया कि भारत में संगठित रिटेल की सप्लाई अभी भी काफी कम है। अमेरिका और चीन जैसे देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति रिटेल स्टॉक सबसे कम है। केजरीवाल ने आगे कहा कि यह कमी, और पिछले दशक में भारत की प्रति व्यक्ति आय का लगभग दोगुना होना, एक ऐसी मांग-आपूर्ति की खाई पैदा कर रहा है जो दुनिया के रिटेल में कहीं और देखने को नहीं मिलती।
पूरी क्षमता से चल रहे मॉल
इसका असर मॉल के कामकाज पर भी दिख रहा है। केजरीवाल ने बताया कि प्रीमियम मॉल लगभग पूरी क्षमता से चल रहे हैं, जहां 95 से 100 प्रतिशत तक जगह भरी हुई है। किराए में वृद्धि भी महामारी से पहले के स्तर को पार कर गई है। डेवलपर्स को अब लीजिंग साइकिल कंस्ट्रक्शन साइकिल से आगे निकलती हुई दिख रही है। इसके अलावा, भारतीय मॉल सिर्फ खरीदारी की जगह नहीं रह गए हैं, बल्कि ये कई कामों के लिए इस्तेमाल होने वाले डेस्टिनेशन बन गए हैं।