एयरपोर्ट छोड़कर रेलवे स्टेशनों की तरफ भाग रहे मैकडॉनल्ड्स, केएफसी और हल्दीराम जैसे बड़े ब्रांड

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे स्टेशनों पर प्रीमियम फूड और बेवरेज आउटलेट खोलने के नियमों के बारे में कई बड़ी ग्लोबल और भारतीय रेस्टोरेंट और कैफे ने रेलवे से जानकारी मांगी है। अधिकारियों और उद्योग के लोगों का कहना है कि उन्हें इन स्टेशनों पर एयरपोर्ट से भी ज्यादा बिक्री की उम्मीद है। पिछले महीने सरकार ने ऐलान किया था कि वह मैकडॉनल्ड्स, केएफसी, हल्दीराम, वाओ मोमो और बास्किन रॉबिंस जैसी जानी-मानी कंपनियों को रेलवे स्टेशनों पर अपने आउटलेट खोलने की इजाजत देगी।

ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने कहा कि ऐसे पहले आउटलेट 2026 तक खुलने की उम्मीद है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के अनुभव को एयरपोर्ट के बराबर लाना चाहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रेलवे की कैटरिंग पॉलिसी 2017 में पिछले महीने संशोधन किया गया था। अब इसमें प्रीमियम ब्रांड कैटरिंग आउटलेट को शामिल किया गया है।

फ्रेंचाइजी स्टोर

नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के प्रेसिडेंट सागर दरयानी का कहना है कि एयरपोर्ट पर भले ही ऑर्डर की कीमत ज्यादा हो, लेकिन रेलवे स्टेशनों पर ग्राहकों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि सही मॉडल के साथ रेलवे आउटलेट बहुत अच्छी कमाई कर सकते हैं। ज्यादा बिक्री, फास्ट टर्नअराउंड टाइम और लोअर एंट्री कॉस्ट की इसमें अहम भूमिका है।

सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह 7,000 से ज्यादा स्टेशनों पर रेस्टोरेंट चेन को पांच साल के लाइसेंस देने के लिए ई-नीलामी करेगी। ये कंपनियां अपने खुद के स्टोर या फ्रेंचाइजी स्टोर खोल सकती हैं। अधिकारी ने बताया, "प्रीमियम फूड आउटलेट को खाने और सर्विस की क्वालिटी में काफी सुधार करना होगा। साथ ही, स्टेशनों पर जगह लेने के लिए एक फिक्स्ड लाइसेंस फीस भी देनी होगी।"

हल्दीराम आउटलेट

जोनल रेलवे को इन रेस्टोरेंट की व्यवहार्यता सुनिश्चित करने और यात्रियों के हितों को संतुलित करने के लिए विशेष शर्तें बनाने की अनुमति होगी। रिटेल ग्रुप IRHPL की हालिया स्टडी के मुताबिक, एयरपोर्ट पर फूड एंड बेवरेज बिक्री में बेवरेज का बड़ा हिस्सा होता है। सॉफ्ट ड्रिंक, कॉफी, जूस और शराब एयरपोर्ट के फूड एंड बेवरेज रेवेन्यू का 70% हिस्सा बनाते हैं। एग्जीक्यूटिव्स का कहना है कि फूड एंड बेवरेज कंपनियां रेलवे स्टेशनों पर भी ऐसी ही मांग पैटर्न की उम्मीद कर रही हैं।

मिठाई और नमकीन बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी हल्दीराम के एक प्रवक्ता ने कहा, "यह पॉलिसी इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी संभावनाओं के द्वार खोलती है और हम निश्चित रूप से रेलवे स्टेशनों पर रेस्टोरेंट खोलने में कई फायदे देखते हैं। कुछ छोटी-छोटी बातें हैं जिन्हें सुलझाने की जरूरत है और हम सरकार के साथ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। अगर यह सही तरीके से किया गया, तो यह अगला बड़ा QSR बिजनेस अवसर होगा, क्योंकि हर उम्र और सामाजिक-आर्थिक समूह के लोग ट्रेनों से यात्रा करते हैं।"

रेवेन्यू में बढ़ोतरी

NRAI के प्रेसिडेंट और वाओ! मोमो के को-फाउंडर दरियानी ने कहा कि जैसे-जैसे ऑपरेशनल फ्रेमवर्क परिपक्व होंगे, रेलवे संगठित फूड ब्रांड के लिए विकास का एक बड़ा इंजन बन जाएगा। नए आउटलेट रेलवे के गैर-किराया राजस्व को बढ़ाने के प्रयासों को भी बढ़ावा देंगे। वर्तमान में यह रेलवे की कुल आय का लगभग 3% है। नीति आयोग के एक आकलन के अनुसार, इस मोर्चे पर काफी संभावनाएं हैं, क्योंकि विकसित देशों में रेलवे का गैर-किराया राजस्व लगभग 30% है। भारतीय रेलवे ने FY24 में ₹588.07 करोड़ और FY25 में ₹686.9 करोड़ का गैर-किराया राजस्व दर्ज किया।

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