ट्रक निकलते ही ढह गया पुल, बाइक-स्कूटी नीचे गिरीं:​​​​​​​जीजा-साले एम्स में जूझ रहे, महेश की होगी सर्जरी; दोनों की हालत क्रिटिकल

रायसेन के नयागांव पुल का सोमवार को हुआ अचानक ढहना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि तीन परिवारों की जिंदगी को हिला देने वाला दर्द बन गया। हादसा अचानक हुआ कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला। ट्रक के गुजरते ही पुल का बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर गया और उसके पीछे चल रही बाइक और स्कूटी सीधे नीचे जा गिरी।

नीचे गिरते ही चीख-पुकार मच गई। लोग भागते हुए मौके पर पहुंचे। इन्हीं में से बाइक पर सवार थे जगदीश केवट और महेश केवट (जीजा)। वहीं, स्कूटी पर देवेंद्र धाकड़ पुल पार कर रहे थे। कुल 4 घायलों को गंभीर चोटों के साथ एम्स भोपाल रेफर किया गया। जिसमें से देवेंद्र धाकड़ को मृत अवस्था में लाया गया। 28 वर्षीय देवेंद्र लोधी को हल्की चोटें थीं, जिन्हें प्राथमिक इलाज के बाद अस्पताल से चले जाने दिया गया। डॉक्टरों ने उन्हें ऑब्जर्वेशन में रहने की सलाह दी थी।

सिर से लेकर रीढ़ तक कई जगह फ्रैक्चर एम्स में डॉक्टरों की टीम लगातार जगदीश केवट और महेश केवट की जान बचाने की कोशिश कर रही है। सिर से लेकर रीढ़ तक कई जगह फ्रैक्चर, गहरे घाव और भारी रक्तस्राव ने उनकी हालत बेहद नाजुक बना दी है। परिवार के लोग रोते हुए दरवाजे के बाहर खड़े हैं और डॉक्टर हर मिनट उनकी स्थिति मॉनिटर कर रहे हैं। यह हादसा सिर्फ पुल के गिरने का नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का भी मुकम्मल सबूत है।

रिश्तेदार के घर जा रहे थे जगदीश और महेश जगदीश केवट के बेटे कार्तिक ने बताया कि हादसे के समय बाइक चला रहे जगदीश (पिता) और उनके फूफा महेश केवट एक रिश्तेदार से मिलने जा रहे थे। कार्तिक के मुताबिक जैसे ही वे पुल पर पहुंचे, उनके आगे चल रहा ट्रक पुल पार करता ही पुल अचानक भरभराकर गिर गया। ट्रक बच गया, लेकिन पीछे से आ रही बाइक और स्कूटी नीचे जा गिरीं। नीचे पत्थरों और मलबे पर गिरते ही दोनों को गंभीर चोटें आईं। उनके सिर, रीढ़, गर्दन और पैरों में कई जगह गहरी चोटें दर्ज की गईं। कार्तिक ने बताया कि हादसे में नीचे गिरी स्कूटी पर सवार लोग भी घायल हुए।

सिर के पीछे लगभग चार इंच तक का गहरा घाव एम्स में डॉक्टर इस समय दोनों मरीजों को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। 42 वर्षीय जगदीश केवट की स्थिति सबसे गंभीर है। उनके सिर के पीछे लगभग चार इंच तक का गहरा घाव है। रीढ़ की दो जगह हड्डी टूट चुकी है और गर्दन की हड्डी में भी चोट दिखाई दे रही है। मंगलवार सुबह उनकी सर्जरी की योजना बनाई जा रही है।

महेश केवट की हालत भी कम गंभीर नहीं है। उनके चेहरे पर कई गहरे घाव हैं और स्पाइन कॉर्ड में गंभीर चोटें पाई गई हैं। दोनों मरीजों को ट्रॉमा एंड इमरजेंसी के अलग-अलग ट्रायज जोन में शिफ्ट किया गया है। जगदीश को येलो ट्रायज आईसीयू में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है, जबकि महेश को रेड ट्रायज में लगातार मॉनिटरिंग पर रखा गया है। राहत की बात यह है कि अभी तक किसी भी मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है, लेकिन डॉक्टर इसे अत्यधिक जोखिम वाला केस मानते हुए पल-पल उनकी निगरानी कर रहे हैं।

बेटे की व्यथा- पिता बोलने की स्थिति में नहीं कार्तिक का कहना है कि उसके पिता जगदीश और महेश दोनों इतनी गंभीर चोट में हैं कि वे बोल भी नहीं पा रहे। उन्होंने बताया कि पिता को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। परिवारजन की आंखों में डर साफ दिखता है। उनका कहना है कि अगर पुल पर काम चल रहा था तो उसे बंद क्यों नहीं किया गया। न कोई चेतावनी बोर्ड, न कोई डायवर्जन। पूरा परिवार प्रशासन की लापरवाही को इस हादसे का जिम्मेदार मान रहा है।

काम चालू था, ट्रैफिक क्यों नहीं रोका घटना के तुरंत बाद कार्तिक और अन्य परिजनों ने आरोप लगाए कि पुल पर निर्माण कार्य पहले से चल रहा था और नीचे मजदूर भी काम कर रहे थे। ऐसे में ट्रैफिक पूरी तरह रोक देना चाहिए था। लेकिन न तो किसी ने रास्ता रोका और न ही कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया। महेश के परिजनों ने कहा अगर थोड़ी भी सावधानी रखी जाती तो आज हमारे लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत से नहीं जूझ रहे होते।

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