रायपुर। छत्तीसगढ़ में सहकारी समितियों के प्रबंधकों, खरीदी प्रभारियों और ऑपरेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आठवें दिन भी जारी रही। राज्यभर में 15,000 से अधिक कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर हैं। इस हड़ताल के चलते 15 नवंबर से प्रस्तावित धान खरीदी अभियान पर संकट गहराता जा रहा है।
सरकार की तैयारियां प्रभावित हैं, न तो धान खरीदी सॉफ्टवेयर का ट्रायल रन हुआ है, न ही किसानों को टोकन जारी किए जा सके हैं।
हड़ताल का असर : खरीदी व्यवस्था ठप
3 नवंबर से शुरू हुई हड़ताल ने अब धान खरीदी के पूरे सिस्टम को जाम कर दिया है। खरीदी केंद्रों में ताले लटके हैं। बारदाना खुले में पड़ा हुआ है। किसानों के लिए बैठने, पीने के पानी या छांव की सुविधा नहीं है। ‘टोकन तुहर हाथ’ ऐप बंद है, जिससे किसान टोकन डाउनलोड नहीं कर पा रहे।
किसान मुकेश साहू (बलौदाबाजार) ने बताया: धान काटकर सुखा लिया है, पर टोकन नहीं मिला। सरकार कह रही है खरीदी 15 से शुरू होगी, लेकिन न सिस्टम चल रहा है, न कोई कर्मचारी मौजूद है।
सरकार ने की वैकल्पिक व्यवस्था की घोषणा
लंबी हड़ताल को देखते हुए सरकार ने अब अन्य विभागों के कर्मचारियों को सोसाइटियों में तैनात करने का फैसला किया है। खाद्य विभाग के सचिव ने सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किया है कि धान खरीदी की प्रक्रिया बाधित न हो, इसलिए हड़तालियों के स्थान पर राजस्व, कृषि या अन्य विभागों के अफसरों को प्रभार सौंपा जाए। साथ ही प्रत्येक सोसाइटी में प्राधिकृत अधिकारी को संचालन का जिम्मा दिया गया है। उन्हें धान खरीदी की अनुमति और प्रशासनिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
तकनीकी तैयारियां अधर में
धान खरीदी के लिए राज्य सरकार ने नया ऑनलाइन सॉफ्टवेयर सिस्टम लागू किया है, लेकिन ऑपरेटरों की हड़ताल के कारण ट्रायल रन भी नहीं हो सका। सूत्रों के मुताबिक, कुछ जिलों में मार्कफेड के तकनीकी स्टाफ और सहकारिता उप पंजीयक खुद सॉफ्टवेयर का परीक्षण कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मानव संसाधन की भारी कमी के कारण प्रक्रिया ठप है। अब तक कोई भी पोर्टल पर टोकन जारी नहीं हुआ है।
दो विभागों में टकराव
जहाँ खाद्य विभाग ने अन्य विभागों के कर्मियों को खरीदी केंद्रों में तैनात करने का आदेश दिया है, वहीं कृषि विभाग ने अपने अमले को इससे दूर रखने का फरमान जारी किया है। कृषि सचिव ने कहा है कि कृषि विकास अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी वर्तमान में रबी सीजन 2025-26 के लक्ष्यों की पूर्ति में लगे हैं, इसलिए उन्हें खरीदी संचालन का दायित्व न सौंपा जाए। इससे जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के सामने दुविधा की स्थिति बन गई है।
किसानों में बढ़ी बेचैनी
धान की फसल कट चुकी है और किसान उसे खलिहानों में सुखा रहे हैं। लेकिन खरीदी प्रक्रिया की अनिश्चितता के कारण उन्हें भारी चिंता है। किसान संगठनों का कहना है कि यदि स्थिति जल्दी नहीं सुधरी, तो धान का नुकसान शुरू हो जाएगा।
किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि सरकार और समिति कर्मचारियों के बीच टकराव का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। खरीदी में देरी हुई तो नुकसान करोड़ों में होगा।
प्रशासन की ओर से अपील
खाद्य विभाग और सहकारिता विभाग के अधिकारी हड़तालियों से चर्चा में जुटे हैं। सुहेला धान खरीदी केंद्र प्रभारी तहसीलदार किशोर कुमार वर्मा ने बताया कि बारदाना उपलब्ध है, और यदि वार्ता सफल रही तो खरीदी 15 या अधिकतम 17 नवंबर से शुरू हो जाएगी। वहीं सहकारिता विभाग के सीईओ मनोज कंवर ने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है और वैकल्पिक व्यवस्था के तहत खरीदी में कोई बाधा नहीं आने देने की तैयारी की जा रही है।
सवाल : क्या समय पर शुरू हो पाएगी खरीदी?
जैसे-जैसे हड़ताल लंबी खिंच रही है, वैसे-वैसे धान खरीदी की तय तारीख पर संशय गहराता जा रहा है। अगर अगले दो दिनों में समाधान नहीं निकला, तो इस बार धान खरीदी की शुरुआत विवाद और अव्यवस्था की भेंट चढ़ सकती है। किसान, सरकार और सहकारी समितियां, तीनों पक्षों की नजरें अब मुख्यमंत्री और खाद्य विभाग की अगली रणनीति पर टिकी हैं।