एमपी में फिर शीतलहर का दौर:भोपाल-ग्वालियर समेत 22 जिलों में घना कोहरा, ट्रेन-फ्लाइट देरी से चल रहीं

कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के साथ मध्यप्रदेश में फिर से कोल्ड वेव यानी, शीतलहर का दौर शुरू हो गया है। बुधवार को भोपाल, रायसेन, राजगढ़, शाजापुर-सीहोर में कोल्ड वेव का अलर्ट है। वहीं, भोपाल, ग्वालियर समेत 22 जिलों में घना कोहरा छाया। कोहरे की वजह से ट्रेनें-फ्लाइट भी डिले हो रही हैं।

मौसम विभाग ने बुधवार को भोपाल, ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, मऊगंज, मैहर, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, कटनी, जबलपुर, दमोह, सागर और विदिशा में घना कोहरा छाने का अलर्ट जारी किया है।

वहीं, इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, देवास, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, मंडला, शिवपुरी, श्योपुर, नीमच, मंदसौर में भी कोहरा छाया रहा। कोहरा छाने के दौरान वाहनों को सावधानी से चलाने की समझाइश भी दी गई है।

इससे पहले मंगलवार की सुबह छतरपुर के नौगांव में 500 से 1 हजार मीटर, भोपाल, ग्वालियर, नर्मदापुरम, खजुराहो-मंडला में 1 से 2 किलोमीटर, इंदौर, राजगढ़, सागर, उज्जैन, जबलपुर-गुना में 2 से 4 किलोमीटर तक दृश्यता दर्ज की गई।

रायसेन, शाजापुर, आगर-मालवा, देवास समेत कई जिलों में भी घना कोहरा दर्ज किया गया।

2 दिन में 35 से ज्यादा ट्रेनें लेट, रेलवे बोला- धीमी गति से चला रहे

दिल्ली तरफ और उत्तर भारत में घने कोहरे और खराब मौसम का असर लगातार दूसरे दिन मंगलवार को भी रेल यातायात पर देखने मिला। दिल्ली की ओर से भोपाल आने वाली कई ट्रेनें घंटों की देरी से पहुंचीं। सबसे ज्यादा असर लंबी दूरी की ट्रेनों पर पड़ा, जिनमें कुछ ट्रेनें 6 से 7 घंटे तक लेट रहीं। इससे यात्रियों को स्टेशन पर लंबा इंतजार करना पड़ा।

रेल अधिकारियों के अनुसार, कोहरे के कारण विजिबिलिटी कम हो गई है। हालांकि, ट्रेनों में एंटी फॉग डिवाइस लगाए गए हैं, लेकिन उनका असर उतना कारगर नहीं हो पा रहा है, जितना अपेक्षित था। इसी वजह से ट्रेनों की गति कम रखनी पड़ रही है, जिससे देरी बढ़ रही है।

भोपाल में पारा रिकॉर्ड 4.8 डिग्री, 10 साल में तीसरी सबसे सर्द रात

मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार-मंगलवार की रात प्रदेश के कई शहरों में न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड लुढ़क गया। भोपाल में सीजन की सबसे सर्द रात रही। यहां तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। साल 2016 से अब तक 10 साल में यह तीसरी सबसे सर्द रात रही। पिछले साल 16 दिसंबर को पारा 3.3 डिग्री दर्ज किया गया था।

भोपाल देश का 8वां और मप्र का दूसरा सबसे ठंडा शहर बन रहा। प्रदेश में शाजापुर में सबसे कम तापमान 4.4 डिग्री दर्ज किया गया।

इंदौर में तापमान 5.4 डिग्री, ग्वालियर-जबलपुर में 9 डिग्री और उज्जैन में 9.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। रीवा, सतना और सीधी में विजिबिलिटी 200 से 500 मीटर तक रही। शाजापुर सबसे ठंडा रहा। यहां तापमान 4.4 डिग्री पहुंच गया।

मंदसौर में 4.6 डिग्री, शहडोल के कल्याणपुर, नौगांव-राजगढ़ में 5 डिग्री, पचमढ़ी में 5.2 डिग्री, रीवा में 5.5 डिग्री, रायसेन में 6.5 डिग्री, मलाजखंड में 7.1 डिग्री, उमरिया में 7.2 डिग्री, नरसिंहपुर-खजुराहो में 8 डिग्री, दमोह-मंडला में 8.2 डिग्री, दतिया में 8.3 डिग्री, बैतूल में 8.5 डिग्री, सतना में 8.7 डिग्री, शिवपुरी में 9 डिग्री, गुना में 9.5 डिग्री, छिंदवाड़ा, खरगोन और रतलाम में तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस रहा।

17 दिसंबर से फिर नया सिस्टम, ठंड बढ़ेगी मौसम विभाग के अनुसार, नए नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) 17 दिसंबर की रात से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करने की संभावना है। जिसका असर एमपी में अगले दो-तीन दिन में दिखाई देने लगेगा। इसके पीछे ही एक और वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ रहा है। इससे ठंड का असर और भी बढ़ेगा।

जेट स्ट्रीम की रफ्तार 222 किमी प्रतिघंटा वर्तमान में जेट स्ट्रीम भी चल रही है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में जेट स्ट्रीम का असर है। रविवार तक यह जमीन से 12.6 किलोमीटर की ऊंचाई पर 176 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बह रही थी, लेकिन पिछले 2 दिन से यह 222 किमी प्रतिघंटा तक पहुंच गई है। इसका असर भी एमपी में देखने को मिल रहा है।

क्या होती है जेट स्ट्रीम? मौसम एक्सपर्ट की माने तो प्रदेश में ठंड बढ़ने की वजह खास वजह जेट स्ट्रीम भी है। यह जमीन से लगभग 12 किमी ऊंचाई पर चलने वाली तेज हवा है। इस बार रफ्तार 222 किमी प्रति घंटा तक पहुंच गई है। यह देश के उत्तरी हिस्से में सक्रिय है।

पहाड़ों से आने वाली बर्फीली हवा के अलावा ये ऊंची हवा सर्दी बढ़ा रही है। उत्तर के मैदानी इलाकों से जब ठंडी हवा और पहाड़ी इलाकों से बर्फीली हवा हमारे यहां आती है, तब तेज ठंड पड़ती है। यह सब उत्तर भारत में पहुंचने वाले मौसमी सिस्टम वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण होता है। ऐसे में यदि जेट स्ट्रीम भी बन जाए तो सर्दी दोगुनी हो जाती है। इस बार यही हो रहा है।

नवंबर में रिकॉर्ड तोड़ चुकी है सर्दी

इस बार नवंबर में सर्दी रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। भोपाल में लगातार 15 दिन तक शीतलहर चली। रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1931 के बाद शीतलहर के यह सबसे ज्यादा दिन है। दूसरी ओर, 17 नवंबर की रात में पारा 5.2 डिग्री तक पहुंच गया, जो ओवरऑल रिकॉर्ड भी रहा। इससे पहले 30 नवंबर 1941 में तापमान 6.1 डिग्री रहा था। इंदौर में भी पारा 6.4 डिग्री ही रहा। यहां भी सीजन की सबसे सर्द रात रही। 25 साल में पहली बार पारा इतना लुढ़का।

नवंबर में रिकॉर्ड तोड़ चुकी है सर्दी इस बार नवंबर में सर्दी रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। भोपाल में लगातार 15 दिन तक शीतलहर चली। रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1931 के बाद शीतलहर के यह सबसे ज्यादा दिन है। दूसरी ओर, 17 नवंबर की रात में पारा 5.2 डिग्री तक पहुंच गया, जो ओवरऑल रिकॉर्ड भी रहा। इससे पहले 30 नवंबर 1941 में तापमान 6.1 डिग्री रहा था। इंदौर में भी पारा 6.4 डिग्री ही रहा। यहां भी सीजन की सबसे सर्द रात रही। 25 साल में पहली बार पारा इतना लुढ़का।

ठंड के लिए दिसंबर-जनवरी खास मौसम विभाग के अनुसार, जिस तरह मानसून के चार महीने (जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर) में से दो महीने जुलाई-अगस्त महत्वपूर्ण रहते हैं और इन्हीं में 60 प्रतिशत या इससे अधिक बारिश हो जाती है, ठीक उसी तरह दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इन्हीं दो महीने में प्रदेश में उत्तर भारत से सर्द हवाएं ज्यादा आती हैं।

इसलिए टेम्परेचर में अच्छी-खासी गिरावट आती है। सर्द हवाएं भी चलती हैं। पिछले 10 साल के आंकड़े यही ट्रेंड बताते हैं। वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के एक्टिव होने से दिसंबर में मावठा भी गिरता है। इससे दिन में भी सर्दी का असर बढ़ जाता है।

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