नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में ई-व्हीकल (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी से आगे बढ़कर कुछ अन्य इन्सेंटिव देने पर विचार किए जाने की जरूरत है। ई-व्हीकल पर पार्किंग में छूट देने और पेट्रोल व डीजल कारों से अतिरिक्त पार्किंग चार्ज लेने पर विचार किया जा सकता है। यह सुझाव पर्यावरण मंत्रालय की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए दिया है।
कमेटी ने क्या दिए सुझाव?
- कमेटी ने ई-व्हीकल की संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की है और कहा है कि राज्य के साथ केंद्र सरकार को भी इसके लिए कदम उठाने की जरूरत है।
- ईवी को बढ़ावा देने के लिए एक तरफ जहां ई-गाड़ियों को इन्सेंटिव दिया जा सकता है, वहीं डीजल व पेट्रोल की गाड़ियों पर अतिरिक्त बोझ डालने की जरूरत है।
- ईवी खरीद पर सब्सिडी से आगे बढ़कर पार्किंग में लुभावने विकल्प तलाश किए जा सकते हैं।
- पारंपरिक गाड़ियों जैसे पेट्रोल व डीजल गाड़ियों से अतिरिक्त पार्किंग फीस भी ले सकते हैं।
- नई नॉन इलेक्ट्रिक गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर सालाना सीलिंग शुरू कर सकते हैं।
- प्राइवेट सेक्टर के बैंक भी ग्रीन कार लोन शुरू कर सकते हैं। इसमें गाड़ियों के ईंधन के हिसाब से ब्याज का निर्धारण हो।
10 साल में किया जाए पहला फिटनेस टेस्ट
कमेटी ने सुझाव दिया है कि प्राइवेट गाड़ियों का पहला फिटनेस टेस्ट 10 साल पूरे होने पर हो। अभी यह 15 साल पर होता है। इसमें भी बड़ी गाड़ियों जैसे एसयूवी आदि पर खास गौर किया जाए।
गाड़ियों के एमिशन स्टैंडर्ड का रिव्यू जरूरी
कमेटी ने सरकार को सुझाव दिया है कि गाड़ियों के नेशनल व्हीकल एमिशन स्टैंडर्ड (राष्ट्रीय उत्सर्जन मानक) का रिव्यू करना जरूरी है। कमेटी ने सरकार को यह भी सुझाव दिया है है कि गाड़ियों को अनफिट करने के लिए उनकी उम्र नहीं बल्कि उनसे होने वाले प्रदूषण को आधार बनाया जाए। कमर्शियल गाड़ियों के लिए यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों से हो। प्राइवेट गाड़ियों के लिए पीयूसी के आधार पर यह प्रक्रिया हो। इसके लिए कमेटी ने रियल टाइम ड्राइविंग कंडिशन के आधार पर तुरंत रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी को अपनाने का सुझाव दिया है।