115 साल पहले फिजी में बस गए परदादा, बस्ती पहुंचे रविंद्र दत्त और केशनी, छठी पीढ़ी से मिल छलक उठीं आंखें

बस्ती: खून के रिश्ते बड़े अजीब होते हैं। सालों बाद भी दूर रह रहे अपनों से मिलने के लिए बेचैन हो जाते हैं। पूर्वांचल के गांवों से फिजी गए गिरिमिटिया मजदूरों की अपनी अलग दास्तान है। बस्ती में बनकटी विकास खंड क्षेत्र के कबरा गांव में फिजी से एक परिवार 115 साल बाद अपने पूर्वजों को ढूंढते हुआ पहुंच गया। पैतृक गांव आकर रविंद्र दत्त और उनकी पत्नी केशनी हरे की खुशी देखने लायक थी। अपनों से मिलकर उनकी आंखें छलक आईं।रविंद्र दत्त के पुरखे 115 साल पहले फिजी जाकर बस गए थे। उन्‍होंने बताया कि अंग्रेज शासन काल के दौरान 1910 में भारत से कई लोगों को गिरमिटिया मजदूर बनाकर फिजी भेजा गया था। उनके परदादा गरीब राम भी इसमें शामिल थे। फिजी में इनके परदादा से मजदूरी कराई गई और उन्हें भारत नहीं आने दिया। इसके बाद उनका परिवार वहीं बस गया। काफी खोजबीन करने के बाद उन्हें अपने परदादा का एक इमिग्रेशन पास मिला, जिसमें उनके बारे में काफी जानकारी लिखी थी।

2019 में भारत आकर जुटाई थी जानकारी

2019 में रविंद्र भारत आए थे और अपने परिवार के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। इस बीच वह अयोध्या गए और भगवान राम से मन्नत मांगी कि उन्हें उनके बिछुड़े परिवार से मिला दें। कई सालों तक इंटरनेट से जानकारी इकठ्ठा करने और लोगों से बात करने के बाद रविंद्र दत्त शुक्रवार को कबरा पहुंचे। यहां गरीब राम के नाती भोला चौधरी, गोरखनाथ, विश्वनाथ, दिनेश, उमेश, रामउग्रह सहित परिवार के अन्य सदस्यों से मिले। रविंद्र दत्‍त और केशरी हरे को देखकर गांव वाले भी काफी खुश हुए।

छठी पीढ़ी को फिजी आने का दिया न्‍योता

115 साल बाद अपने परिवार की छठी पीढ़ी से मिलने के बाद रविंद्र दत्‍त ने उन्हें फिजी आने का न्योता दिया। रविंद्र ने कहा कि अब भारत से उनका गहरा नाता बन गया है। हर सुख-दुख में वे अपने परिवार के पास आते रहेंगे। गांव के प्रधान प्रतिनिधि रवि प्रकाश चौधरी ने बताया कि जैसे ही उन्हें पता चला कि फिजी से दो लोग आए हैं और अपने परिवार को खोज रहे हैं तो उन्‍होंने रविंद्र दत्त से जानकारी ली। रविंद्र ने अपने भाइयों के साथ फोटो ली। प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के साथ कुछ पल बिताया। गांव की यादों को कैमरे में कैद किया और वापस फिजी लौट गए।

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