दुबई: पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर तबाही मचाने लाली ब्रह्मोस मिसाइल ग्लोबल सेंसेशन बन गई है। दुबई एयरशो के दौरान सबसे ज्यादा देशों के डेलिगेशन ब्रह्मोस मिसाइल को देखने और इसके बारे में जानकारी लेने आ रहे हैं। लोगों में दिलचस्पी इस बात को लेकर है कि आखिर कैसे दुनिया की इस सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल ने चीनी एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9B को धूल चटाते हुए पाकिस्तान के 11 एयरेबस पर तबाही मचा डाली। रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानकारी लेने और संभावित सौदे को लेकर बातचीत करने के लिए भारतीय पवेलियन में खाड़ी, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के डेलिगेशन पहुंचे। इन्होंने ब्रह्मोस में गहरी दिलचस्पी दिखाई और सौदे से संबंधित जानकारियां हासिल की हैं।
दुबई एयरशो में ब्रह्मोस मिसाइल को देखने भारतीय पवेलियन पर रिकॉर्ड भीड़ उमड़ रही है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस बार संभावित डिफेंस खरीदारों की संख्या तीन गुना ज्यादा है। गल्फ, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के उच्चस्तरीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल ने ब्रह्मोस की टेक्नोलॉजी, उसकी कीमत, खरीदने की प्रक्रिया और प्लेटफॉर्म इंटीग्रेशन को लेकर जानकारी हासिल की है। अधिकारियों का कहना है कि दो देशों के साथ G2G डिफेंस समझौते अंतिम चरण में पहुंच चुके हैं, जबकि 3 से 4 देशों के साथ औपचारिक बातचीत प्रगति पर है।
ब्रह्मोस के ग्लोबल सेंसेशन बनने के पीछ मई महीने का संघर्ष है, जब भारत ने पहली बार दुनिया को ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत दिखाई थी। भारतीय वायुसेना के Su-30MKI लड़ाकू विमानों से पाकिस्तान के अत्यंत संरक्षित एयरबेसों, जैसे नूर खान बेस (रावलपिंडी) और जकोबाबाद पर ब्रह्मोस-A मिसाइलें दागीं। पाकिस्तान ने इन दोनों एयरबेस को बचाने के लिए चीनी HQ-9BE और HQ-16FE एयर-डिफेंस तैनात कर रखे थे, जो बेकार साबित हुए। चीन दावा करता था कि HQ-9BE एयर डिफेंस सिस्टम का 90% इंटरसेप्शन रेट का दावा है और वो Mach 5 की स्पीड से आने वाली मिसाइलों को रोकने में सक्षम है, लेकिन ब्रह्मोस के आगे चीनी एयर डिफेंस सिस्टम चारों खाने चित हो गये।
ब्रह्मोस को पहले से ही दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता रहा है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने युद्ध क्षेत्र में इसकी विश्वासनीयता को साबित किया है। इसीलिए दुनिया की नजर अब ब्रह्मोस-NG यानि नेक्स्ट जेनरेशन पर है, जिसकी स्पीड और ज्यादा होने वाली है। ब्रह्मोस-NG का वजन कम किया जा रहा है, ताकि इसे हल्के लड़ाकू विमानों जैसे तेजस पर भी फिट किया जा सके। ब्रह्मोस-NG मिसाइल की टेस्ट फ्लाइट 2026 में और मास प्रोडक्शन 2027 के आखिर तक शुरू होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, एक खाड़ी देश राफेल बेड़े के लिए एयर-लॉन्च्ड ब्रह्मोस और नौसेना वैरिएंट के लिए ब्रह्नोस मिसाइल खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। ये बातचीत स्टाफ लेवल तक पहुंच चुकी है, जबकि दो एशियाई देश विस्तारित रेंज वैरिएंट खरीदने के लिए बात कर रहे हैं। इंडोनेशिया के साथ ब्रह्नोस मिसाइल को लेकर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई है।