नई दिल्ली: प्रमोटर्स ने इस साल बिकवाली ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 2025 में वे अब तक 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेच चुके हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 1.43 लाख करोड़ रुपये था। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक लगातार तीसरे साल प्रमोटर्स की बिकवाली 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंची है। इसमें से करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली 352 ब्लॉक और बल्क डील के जरिए हुई है। वहीं, स्टॉक एक्सचेंजों पर ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के जरिए 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली हुई है। यह कुछ निवेशकों के लिए यह खतरे की घंटी है, लेकिन बाजार के जानकारों का कहना है कि यह कहानी जितनी दिखती है, उससे कहीं ज्यादा गहरी है।
जून 2025 तक भारतीय शेयर बाजार में प्राइवेट प्रमोटर्स की हिस्सेदारी घटकर 40.58% रह गई है, जो पिछले आठ साल में सबसे कम है। इससे साफ है कि कंपनियों में मालिकाना हक में बड़ा बदलाव आया है। भारत के कुछ बड़े बिजनेस घराने इस बिकवाली में सबसे आगे रहे। भारती एयरटेल ने प्रमोटर्स ने इस साल सबसे ज्यादा 44,682 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसके बाद देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का नंबर आता है, जिसके प्रमोटर्स ने 14,497 करोड़ रुपये की बिकवाली की।
कैश इन कर रहे हैं प्रमोटर
विशाल मेगामार्ट के प्रमोटर्स ने 10,220 करोड़ रुपये, एडब्ल्यूएल एग्री कमोडिटीज ने 11,064 करोड़ रुपये और एमफसिस ने 4,726 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसके अलावा सैगिटी, बजाज फिनसर्व, कोहांस लाइफसाइंसेज, हिंदुस्तान जिंक, डिक्सन, एप्टस, केफिन टेक और बजाज हाउसिंग फाइनेंस जैसी कंपनियों के प्रमोटर्स ने भी 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे।
क्या है वजह?
लेकिन प्राइम डेटाबेस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हलदिया इस बात से सहमत नहीं हैं कि सभी प्रमोटरों की बिकवाली को एक ही नजर से देखा जाए। उन्होंने कहा कि उद्यमियों के लिए भी एक लाभदायक व्यवसाय बनाना बहुत मुश्किल होता है। जब उनमें से कुछ सफल होते हैं और अपनी हिस्सेदारी बेचकर पैसा निकाल पाते हैं, तो यह नए उद्यमियों को भी सही संकेत देता है।