बिलासपुर, बिलासपुर पुलिस प्रशासन ने रिश्वतखोरी और अनुशासनहीनता के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है। एसएसपी रजनेश सिंह ने ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है जो कानूनी मदद करने के बजाय अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं। एसएसपी ने स्पष्ट किया कि अवैध वसूली या रिश्वतखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और शिकायत मिलने पर दोषियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तुरंत की जाएगी।
प्रधान आरक्षक को दो वर्ष के लिए डिमोशन
बिल्हा थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक अनिल साहू के खिलाफ चालान पेश करने और वाहन को जब्ती प्रक्रिया से बचाने के एवज में 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगने की शिकायत सामने आई। शिकायतकर्ता ने इस पूरी घटना का वीडियो रिकॉर्डिंग कर एसएसपी को सौंपा। एसएसपी रजनेश सिंह ने तुरंत प्रधान आरक्षक को निलंबित कर विभागीय जांच बिठाई। जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद अनिल साहू को दो वर्ष के लिए डिमोशन कर आरक्षक पद पर भेजा गया। यह कार्रवाई स्पष्ट संदेश देती है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनहीनता और रिश्वतखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अन्य आरक्षक पर वेतनमान में कटौती
इसी दौरान, पूर्व में सीएसपी व आईपीएस अक्षय सबद्रा ने कोनी क्षेत्र के जलसो में दबिश देकर अवैध शराब तस्करों को पकड़ा था। जांच के दौरान पाया गया कि कोचियों के मोबाइल में कोनी थाने के आरक्षक दीपक मरावी से लगातार बातचीत के सबूत थे। विभागीय जांच में इस अनियमितता की पुष्टि हुई। इसके परिणामस्वरूप आरक्षक दीपक मरावी को न्यूनतम वेतनमान पर ला दिया गया, यानी अब उसे नए भर्ती आरक्षक के समान वेतन मिलेगा।
दोनों कार्रवाइयों ने यह साफ संदेश दिया कि बिलासपुर पुलिस प्रशासन रिश्वतखोरी और अनुशासनहीनता पर कठोर रुख अपनाए हुए है। SSP रजनेश सिंह ने कहा कि ऐसे अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जो अपने पद का दुरुपयोग कर लोगों से अवैध वसूली करते हैं। इन कदमों से पुलिस में सकारात्मक अनुशासन स्थापित करने और आम जनता के बीच विश्वास बढ़ाने की दिशा में मदद मिलेगी। साथ ही, अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतावनी मिली है कि किसी भी शिकायत पर त्वरित जांच और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय नागरिकों ने इन कार्रवाईयों की सराहना की और कहा कि यह कदम पुलिस प्रशासन की निष्पक्षता और जवाबदेही को दर्शाता है। कई लोगों ने सुझाव दिया कि सख्त कार्रवाई और निगरानी से रिश्वतखोरी पर लगाम लगाई जा सकती है।