दतिया: कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े का रौद्र रूप देखने को मिला है। झुंड बनाकर कलेक्ट्रेट ऑफिस में पटवारी उनसे मिलने आए थे। एक पटवारी के सस्पेंशन के बाद उनके संगठन में नाराजगी थी। पटवारियों की भीड़ देखकर कलेक्टर भी गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि झुंड बनाकर दबाव डालोगे तो झुकूंगा नहीं, माई मेरे साथ हैं।
दबाव बनाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं
पटवारियों की भीड़ देखकर दतिया कलेक्टर ने साफ कहा कि नेताओं के सहारे प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा- आपको क्या लगता है, 60-70 लोग आकर खड़े हो जाएंगे तो मैं दब जाऊंगा? ऐसा नहीं होगा। भगवान मेरे साथ और माई मेरे साथ हैं। कलेक्टर ने कहा कि यदि उन्हें किसी मुद्दे पर बात करनी थी तो तीन-चार प्रतिनिधि आ सकते थे, लेकिन बार-बार झुंड बनाकर आना न केवल गलत है, बल्कि यह प्रशासन पर जानबूझकर दबाव बनाने की कोशिश है।
15 दिनों में दूसरी बार आने की क्या जरूरत
उन्होंने सवाल उठाया कि 15 दिन में दूसरी बार 70 लोगों के आने की जरूरत क्या थी? पीएम किसान योजना और खाद वितरण को लेकर कलेक्टर ने पटवारियों को जमकर लताड़ा। कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े ने कहा कि जब प्रशासन ने सख्ती दिखाई और एडीएम ने दबाव बनाया, तब पटवारी फिर से 60-70 की संख्या में इकट्ठा होकर आ गए। उन्होंने दो टूक कहा- पटवारी का काम कलेक्टर पर दबाव बनाना नहीं है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को लेकर भी कलेक्टर ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वीडियो उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर नहीं था, मैंने किसी को वायरल करने का प्रयास नहीं किया गया और न ही यह वीडियो उनके वीडियोग्राफर ने रिकॉर्ड किया था।
यह जनता के साथ है धोखा
कलेक्टर ने कहा कि यदि किसी सस्पेंशन को लेकर आपत्ति थी तो व्यक्तिगत रूप से आकर चर्चा की जा सकती थी। लेकिन इस तरह से झुंड बनाकर आना न केवल अवैधानिक है बल्कि जनता के साथ धोखा भी है। उन्होंने कहा मैं पैसों के लिए काम नहीं करता, हम सब जनता के लिए काम करते हैं। जनता का दुख देखेंगे तो गुस्सा आएगा और कार्रवाई भी होगी। कलेक्टर ने भावुक लहजे में कहा कि रोज उनके पास ऐसे लोग आते हैं जिनकी मां, बहन या बेटा नहीं रहा, किसी को पांच साल से वृद्धा पेंशन नहीं मिली क्योंकि आधार में अंगूठा नहीं लग पा रहा। इन हालातों को देखिए, फिर समझ आएगा, गुस्सा क्यों आता है।
पटवारियों का तर्क
इधर, पटवारियों की ओर से यह तर्क दिया गया कि इंदरगढ़ में एक पटवारी को सस्पेंड किया गया, जिसके बाद तहसीलदार ने पत्र जारी कर दतिया से मेडिकल प्रस्तुत करने को कहा, जबकि संबंधित पटवारी ने ग्वालियर में इलाज कराया था। इस पर कलेक्टर ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है और यदि बैठकर बातचीत की जाए तो स्थिति स्पष्ट की जा सकती है।