मध्य प्रदेश के इस बार कड़ाके की ठंड पड़ेगी। पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी से नवंबर के पहले सप्ताह में ही मध्यप्रदेश ठिठुरने लग गया है। शुक्रवार-शनिवार की रात में कई शहरों में रिकॉर्ड ठंड रही। इंदौर में पिछले 25 साल में नवंबर में इतनी सर्दी कभी नहीं पड़ी। यहां नवंबर की ठंड का ओवरऑल रिकॉर्ड 1938 का है। जब पारा 5.6 डिग्री पर पहुंचा था।
भोपाल में पारा 8.4 डिग्री रहा। यह 10 साल में दूसरा सबसे कम तापमान है। पिछले साल पारा 8.2 डिग्री पर रह चुका है। ग्वालियर में 10.5 डिग्री, उज्जैन में 10.4 डिग्री और जबलपुर में पारा 12.2 डिग्री सेल्सियस रहा। राजगढ़ में लगातार दूसरी रात प्रदेश में सबसे ठंडा रहा। यहां तापमान 7.4 डिग्री और रीवा में 9.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
इस साल नवंबर के पहले सप्ताह से ही ठंड बढ़ी मौसम विशेषज्ञों की माने तो प्रदेश में आमतौर पर ठंड की दस्तक नवंबर के दूसरे पखवाड़े से होती है। यानी 15 नवंबर से ठंड का असर तेज होता है, जो जनवरी तक रहता है, लेकिन इस बार तेज सर्दी का असर एक सप्ताह पहले से ही हो रहा है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि मानसून के बाद जैसे-जैसे नमी घटती है, रातें जल्दी ठंडी होने लगती हैं। पहाड़ों पर बर्फबारी होती है, बर्फ पिघलती है और ठंडी हवा मैदानों तक आती है। हवा का रुख दक्षिण-पश्चिमी से उत्तर-पूर्वी दिशा में होता है, जिसे ‘विंड पैटर्न सेट होना’ कहा जाता है। इन सभी वजहों से प्रदेश में ठंड का असर बढ़ा है।
झाबुआ में तेज ठंड, स्कूलों का समय बदला झाबुआ में तीन दिन के दौरान न्यूनतम तापमान में 8.4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। ठंड बढ़ने से कलेक्टर नेहा मीना ने स्कूलों के समय में बदलाव किया है। इसके अनुसार, नर्सरी से कक्षा 3 तक की कक्षाएं सुबह 9 बजे से पहले और कक्षा 4 से कक्षा 12 तक की कक्षाएं सुबह 8 बजे से पहले नहीं लगेंगी। यह आदेश झाबुआ जिले की सभी शैक्षणिक संस्थाओं पर लागू होगा।
ठंड के साथ कोहरे का असर भी बढ़ेगा मौसम विभाग के मुताबिक अब ठंड के साथ कोहरा भी बढ़ेगा। फिलहाल, देर रात और अलसुबह ठंड का असर ज्यादा है। वहीं सुबह हलका कोहरा भी है, जो आने वाले दिनों में बढ़ जाएगा। अभी मंडला में सबसे कम 1-2 किलोमीटर विजिबिलिटी मंडला में देखने को मिली है। जबलपुर, रीवा और सतना में यह 2 से 4 किलोमीटर रही।
पिछले 10 साल से नवंबर में ठंड का ट्रेंड प्रदेश में नवंबर में पिछले 10 साल से ठंड के साथ बारिश का ट्रेंड भी है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहेगा। वहीं, बारिश के लिहाज से अक्टूबर का महीना उम्मीदों पर खरा उतरा है। औसत 2.8 इंच पानी गिर गया, जो सामान्य 1.3 इंच से 121% ज्यादा है।
वहीं, भोपाल में दिन ठंडे रहे। 30 अक्टूबर को दिन का तापमान 24 डिग्री रहा। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 25 साल में अक्टूबर का यह सबसे ठंडा दिन रहा। उज्जैन, छतरपुर, नरसिंहपुर समेत कई शहरों में पारा 24 डिग्री के नीचे ही रहा।
मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में ठंड का असर बढ़ेगा। हुआ भी वैसा ही। पारे में खासी गिरावट देखने को मिल रही है।
खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में, जहां उत्तरी हवाएं सीधी आती हैं, वहां पारा लुढ़केगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में रात का टेम्प्रेचर रिकॉर्ड 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।
उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम पारा रिकॉर्ड 2.3 डिग्री तक जा चुका है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में इस महीने बारिश का ट्रेंड है। इस बार नवंबर के पहले सप्ताह में ही बारिश होने के आसार है। तीसरे और चौथे सप्ताह में सिस्टम एक्टिव होने से भी बारिश हो सकती है।