मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि देश में सबसे अधिक आदिवासी समाज मध्यप्रदेश में रहता है। उन्होंने कहा कि सरकारी कामों के साथ जब तक सामाजिक संस्थाएं नहीं खड़ी होती है तब तक उसमें पूरी तरह सुधार नहीं आता है। सामाजिक क्षेत्रों के लोगों के काम करने के बाद सरकार को सामाजिक कठिनाइयों की जानकारी मिलती है, जिसे ठीक करने का काम किया जाता है।
बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती के पहले राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग अल्हड़ और मस्ती से जीवन जीते हैं। इस समाज के लोग जिस तरह से अपनी जीवन शैली से जीते हैं, वह अद्भुत है।
आदिवासी अंचलों में अलग-अलग काम हो रहे हैं। एनजीओ आदिवासी समाज के लिए जो काम कर रहे हैं, उसमें सरकार सबके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज को सम्मान देने के लिए उन्होंने जबलपुर में जाकर कैबिनेट बैठक की है और आदिवासी समाज के लिए कई फैसले लिए हैं।
500 से ज्यादा एक्सपर्ट हो रहे शामिल
इसके पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनजाति कार्य मंत्रालय, भारत सरकार और मध्यप्रदेश जनजाति कार्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से जनजाति कल्याण के लिए कार्य कर रहे अशासकीय संगठनों की नेशनल कॉन्क्लेव का शुभारंभ किया।
इस कॉन्क्लेव के समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल मंगुभाई पटेल होंगे। जनजाति कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह मुख्य अतिथि होंगे। कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में हो रहे कार्यक्रम में देश भर के 500 से ज्यादा विषय विशेषज्ञ जनजातीय कल्याण से जुड़े हुए विषयों पर चर्चा हो रही है।
नेशनल कॉन्क्लेव में विषय विशेषज्ञ स्वैच्छिक संस्थाओं और प्रयासों के माध्यम से जनजातीय समुदाय के सशक्तिकरण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य मुद्दों पर दिन भर चलेगा मंथन
इस कॉनक्लेव में आदिवासी समाज की शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, वन अधिकार, शासन, प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर विशेषज्ञ अपने-अपने विचार रखेंगे। इसमें आदिवासी समुदाय की शिक्षा और सशक्तिकरण में शैक्षिक संगठनों की भूमिका, चुनौतियां एवं मुद्दे, वर्तमान में शिक्षा का स्तर, समग्र शिक्षा में शैक्षिक संगठनों की भूमिका पर विशेष चर्चा होगी।
जनजातीय समुदाय की महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण से जुड़ी समस्याओं और चुनौतियां, टीकाकरण एवं अन्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की पहुंच बढ़ाने, टेली मेडिसिन, एम हेल्थ जैसे आधुनिक हस्तक्षेप से स्वास्थ्य सेवा बढ़ाने में अशासकीय संगठनों की भूमिका पर विचार होगा।
कॉन्क्लेव में एनजीओ की भूमिका तय की जाएगी
दिन भर चलने वाली कॉन्क्लेव में जनजातीय अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याओं, और आजीविका बढ़ाने, जनजातीय युवाओं में उद्यमिता बढ़ाने, आजीविका के नए अवसर, स्वसहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक उद्यमिता को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर विचार विमर्श होगा। इसमें स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका तय की जाएगी, साथ ही वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों पर भी चर्चा होगी।
कॉन्क्लेव में जनजातीय विकास एवं शासन प्रशासन से जुड़े विषयों, राज्य की भूमिका, पंचायत राज संस्थाओं, ग्राम सभा पारंपरिक जनजातीय संस्थाओं जनजाति विकास एजेंसियों की भूमिकाओं पर भी चर्चा होगी।