इस्लामाबाद: पाकिस्तान में संविधान संशोधन के बाद बनाए गए चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) के पद पर असीम मुनीर के नाम के ऐलान में लगातार देरी हो रही है। मुनीर के 29 नवंबर को CDF का पद संभालने की चर्चा थी लेकिन एक हफ्ते बाद भी शहबाज शरीफ सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि इस देरी के पीछे खास वजह है। खासतौर से नवाज शरीफ इस मामले में सक्रिय हैं और नोटिफिकेशन से पहले अपने लिए कुछ फायदे वाले ‘सौदे’ की तलाश में हैं।
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, पा
क्या है मरी प्लान
यह सब ‘मरी प्लान’ के तहत हो रहा है। यह प्लान अगस्त में नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ, मरियम नवाज, असीम मुनीर, असीम मलिक और मोहसिन नकवी के बीच मरी शहर में तय हुआ था। सूत्रों का कहना है कि इस प्लान में 10 साल का राजनीतिक-सैन्य ढांचा तय किया गया है। इसके तहत मुनीर को पांच साल का कार्यकाल देने के बदले में सेना को नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाने में मदद करनी है।
किस्तान में CDF की नियुक्ति में देरी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज और असीम मुनीर के बीच चल रही बातचीत के कारण हो रही है। शरीफ परिवार नेतृत्व राजनीतिक गारंटी, सेना में अहम नियुक्तियों पर प्रभाव और भविष्य में सरकार चलाने को लेकर आश्वासन चाहता है। खुद नवाज शरीफ चौथी बार प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। इससे इस मुद्दे पर चीजें उलझती जा रही हैं
सेना और राजनेताओं में खींचतान
पर्यवेक्षकों का कहना है कि आने वाले दिन CDF की औपचारिक नियुक्ति और मरी प्लान के व्यापक प्रभावों के बारे में स्पष्टता आएगी। यह पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य समीकरणों के लिए आने वाले वर्षों का रुख तय कर सकता है। यह पूरा मामला पाकिस्तान की राजनीति और सेना के बीच चल रही खींचतान को दिखाता है।
सैन्य सूत्र ने बताया है कि असीम मुनीर का CDF बनना लगभग तय है। देरी सिर्फ कागजी कार्रवाई और राजनीतिक सहमति की है। मरी प्लान के तहत होने वाली नियुक्तियां अगले 10 सालों तक पाकिस्तान की राजनीति और सुरक्षा को प्रभावित करेंगी। इससे नवाज शरीफ की राजनीतिक वापसी हो सकती है।