सरगुजा, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अमेरा ओपनकास्ट कोल माइंस के विस्तार का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। पुलिसकर्मियों और ग्रामीणों के बीच झड़प हो गई। इस दौरान ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। गुलेल से भी हमला किया। हमले में ASP, थाना प्रभारी सहित करीब 25 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
12 से ज्यादा ग्रामीणों को भी चोट आई है। हालात को काबू करने पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। थाना प्रभारी को अंबिकापुर रेफर कर दिया गया है। मामला लखनपुर थाना क्षेत्र का है।
जानकारी के मुताबिक, SECL के अमेरा खदान के विस्तार के लिए परसोढ़ी गांव की जमीनें साल 2001 में अधिग्रहित की गई है। ग्रामीण अपनी जमीन देने तैयार नहीं हैं। बुधवार को प्रशासनिक अधिकारी करीब 500 की संख्या में पुलिस बल के साथ जमीन अधिग्रहण के लिए पहुंचे थे।
वहीं SECL प्रबंधन का कहना है कि परसोडीकला के ग्रामीणों को अब तक लगभग 10 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। जिला R&R समिति की सहमति से रोजगार भी प्रदान किया जा रहा है। लेकिन जैसे ही खनन परसोडीकला की ओर बढ़ा, कुछ असामाजिक तत्वों ने ग्रामीणों को फिर से उकसाया, जिन्होंने अधिग्रहीत भूमि खाली करने से इनकार कर दिया।
सिंहदेव ने बताया गुजरात मॉडल
इस घटना पर टीएस सिंहदेव ने एक्स पर लिखा- सरकार जिनकी प्रतिनिधि है, उन्हीं पर लाठियां बरसा रही है। सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम परसोडीकला का दृश्य लोकतंत्र को शर्मिंदा करने वाला है। जहां गुजरात की एक निजी कंपनी से सरकारी खदान में उत्खनन कराया जा रहा है और विरोध कर रहे स्थानीय ग्रामीणों पर पुलिस का लाठीचार्ज और आंसू गैस बरसाई गई।
उन्होंने लिखा- यही है वह ‘गुजरात मॉडल’, जिसे देश वाराणसी और अयोध्या में भी देख रहा है। जहां स्थानीय लोगों के रोजगार और संसाधनों पर बाहर की कंपनियों और लोगों का कब्ज़ा कराया जा रहा है, और स्थानीय समुदायों के अधिकारों की पूरी तरह अनदेखी कर दी गई है। सरकार का काम जनता की रक्षा करना है, उन्हीं पर लाठियां चलाना नहीं। छत्तीसगढ़ के लोगों के हक, जमीन और भविष्य का इस तरह दमन नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस ने कहा- यह सरकार की सोच का आइना
कांग्रेस ने भी एक्स पर लिखा- सरगुजा जिले के अमेरा में जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ एक खदान का विवाद नहीं है। यह सरकार की सोच का आइना है। आदिवासी अपनी जमीन, जंगल और भविष्य बचाने के लिए खड़े हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने उनकी बात सुनने के बजाय हर हाल में खदान विस्तार को आगे बढ़ाने का रुख अपना लिया है।
ASP, थाना प्रभारी सहित 25 घायल
ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर पत्थर, गुलेल से हमला किया। इसके जवाब में पुलिसकर्मियों ने भी ग्रामीणों पर पत्थर चलाए। ग्रामीण और पुलिस दोनों एक-दूसरे पर पहले पत्थर चलाने का आरोप लगा रहे हैं। पत्थरबाजी में ASP अमोलक सिंह, SDOP ग्रामीण, धौरपुर थाना प्रभारी अश्वनी सिंह सहित 25 पुलिसकर्मियों को चोट आई है।
थाना प्रभारी अश्वनी सिंह को ज्यादा चोट लगने के कारण अंबिकापुर रेफर किया गया है। ग्रामीणों के अनुसार पुलिस की ओर से भी पत्थर चलाए गए। इसमें 12 से ज्यादा ग्रामीणों को चोटे आई है। पत्थरबाजी के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
ग्रामीण बोले- जबरदस्ती कब्जा दिलाने पर अड़ा प्रशासन
ग्रामीणों ने बताया कि अमेरा खदान के लिए साल 2001 में भूमि अधिग्रहण हुआ। अब तक मात्र 19% किसानों ने ही मुआवजा लिया है। किसानों को अब तक न नौकरी मिली, न सभी को मुआवजा। 3 माह पहले अधिग्रहित जमीन पर बुलडोजर चलाया गया था, जिसके बाद ग्रामीण अपनी फसल और जमीन की रखवाली कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि बैठक कर निर्णय लिया है कि वे अपनी जमीनें नहीं देंगे। इसके बावजूद प्रशासन जमीन पर जबरदस्ती कब्जा दिलाने पर अड़ा है। इसके कारण यह तनाव की स्थिति बनी है।
हम अपनी जमीन नहीं देना चाहते- ग्रामीण
ग्रामीण लीलावती ने कहा कि हम अपने परसोढ़ी गांव की जमीन को कंपनी को नहीं देना चाहते हैं। कंपनी यहां कोयला निकालना चाहती है। उन्होंने कहा कि हम कहां जाएं। हमारे पूर्वज यहां रहे। अब हमारी बारी आई है तो हम अपनी जमीन बेच दें। मेरे बेटे और नाती भीख मांगें। कोयला खदान की वजह से हमारी जमीन जा रही है। हमारी जमीन हम उसे नहीं देना चाहते हैं।
निजी कंपनी संचालित कर रही खदान
SECL ने खदान के संचालन का जिम्मा LCC कंपनी को दिया है। LCC कंपनी का करोड़ों रुपए का इन्वेस्टमेंट है। काम बंद होने से कंपनी को नुकसान हो रहा है, इसलिए वह जल्दी से जल्दी जमीन पर कब्जा चाहती है। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी कुछ अधिकारियों की मदद लेकर उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है।
मामले में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट कहा है कि यदि ग्रामीण चाहते हैं कि खदान न खुले तो नहीं खुलेगी।
नियम विरूद्ध कार्रवाई- भानू प्रताप सिंह
राज्य अजजा आयोग के पूर्व अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण नियमों के तहत कोई भी कंपनी 5 सालों तक अधिग्रहित भूमि पर काम नहीं करती है तो जमीनें भू स्वामियों को वापस कर दी जाएंगी। किसी की मर्जी के बिना उसकी जमीन नहीं ली जा सकती। यदि ग्रामीणों ने मुआवजा नहीं लिया है तो उनकी जमीनें अधिग्रहित नहीं मानी जाएगी। यह नियम विरूद्ध है। इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
ग्रामीणों से चर्चा कर रहा प्रशासन
अपर कलेक्टर सुनील नायक ने कहा कि भू-अर्जन की कार्रवाई हो गई है। कई ग्रामीण मुआवजा नहीं ले रहे हैं और कोयला खनन में बाधा पैदा कर रहे हैं। ग्रामीणों को समझाइश दी जा रही है कि SECL को अनुमति दी जाए। पथराव में कई पुलिसकर्मी गंभीर हैं और कुछ को मामूली चोटें आई हैं। मौके पर कुछ का प्राथमिक उपचार किया गया है।