रामानंद सागर की 57 साल पुरानी फिल्म, धर्मेंद्र बने थे बॉलीवुड के पहले जासूस, दुश्मनों के बीच दिया मिशन को अंजाम

रामानंद सागर की फिल्म ‘आंखें’ (1968) को बॉलीवुड की पहली स्पाई थ्रिलर फिल्म माना जाता है। धर्मेंद्र और माला सिन्हा की इस फिल्म ने देशभक्ति के विषयों को सस्पेंस, एक्शन और ग्लैमर के साथ मिलाकर हिंदी सिनेमा में जासूसी ड्रामा फिल्मों की नींव रखी।

20 सितंबर 1968 को रिलीज हुई फिल्म ‘आंखें’ ने भारतीय सिनेमा में एक नया मुकाम हासिल किया। उस दौर में जब बॉलीवुड में रोमांटिक म्यूजिक और फैमिली ड्रामा फिल्मों का बोलबाला था, रामानंद सागर ने दर्शकों को एक ऐसे विधा से परिचित कराया जो भारत में काफी हद तक अनछुआ था – स्पाई थ्रिलर। अपनी अनोखी कहानी, शानदार निर्देशन और देशभक्ति की भावना वाली ‘आंखें’ उस साल की सबसे सफल फिल्मों में से एक बन गई और आज भी इसे हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद की कहानी

भारत की स्वतंत्रता के कुछ समय बाद के समय पर बेस्ड यह फिल्म असम में हुए आतंकवादी हमलों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनमें भारी जनसंहार होता है। सरकार से सीधे तौर पर जुड़े न होने वाले कुछ जागरूक नागरिकों का ग्रुप इस नरसंहार को रोकने के लिए खुद ही कदम उठाने का फैसला करता है। धर्मेंद्र सुनील का किरदार निभाते हैं, जो दुश्मन नेटवर्क में घुसपैठ करता है, जबकि माला सिन्हा उनकी प्रेमिका मीनाक्षी के रोल में हैं। जासूसी, रोमांस और देशभक्ति का यह मिश्रण दर्शकों को लगभग तीन घंटे की तक बांधे रखता है।

धर्मेंद्र का किरदार क्या था?

धर्मेंद्र ने सुनील का किरदार निभाया। उनकी दमदार एक्टिंग और एक्शन सीन्स ने उन्हें थ्रिलर फिल्मों का बड़ा स्टार बना दिया। मीनाक्षी मेहता के रूप में माला सिन्हा ने रोमांस और सस्पेंस का मिश्रण दिखाते हुए फिल्म में भावनात्मक गहराई लाई। महमूद ने हंसी का तड़का लगाया, जो उस दौर की बॉलीवुड फिल्मों की एक खासियत थी। कुमकुम, सुजीत कुमार, ललिता पवार, जीवन और मदन पुरी ने भी बढ़िया काम किया, जिससे कहानी में रहस्य का तड़का लगा।

‘आंखें’ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

रामानंद सागर ने ‘आंखें’ का लेखन, निर्माण और निर्देशन किया। 6.5 करोड़ रुपये के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के साथ ‘आंखें’ 1968 की सबसे अधिक कमाने वाली हिंदी फिल्म बन गई। इसकी सफलता ने साबित कर दिया कि भारतीय दर्शक रोमांस और पारिवारिक ड्रामा से परे बाकी जॉनर्स के लिए भी तैयार थे। इस फिल्म ने बाद में आने वाली जासूसी थ्रिलर फिल्मों जैसे फर्ज (1967, यकीन (1969), और 1970 की जेम्स बॉन्ड फिल्मों के लिए रास्ते खोल दिए।

‘आंखें’ के बाद धर्मेंद्र बन गए स्टार

‘आंखें’ न सिर्फ अपनी बॉक्स ऑफिस पर सफलता के लिए बल्कि अलग तरह की फिल्म बनाने के लिए भी याद की जाती है। इसने भारतीय दर्शकों को जासूसी, सीक्रेट मिशन और देशभक्ति भरे बलिदान की दुनिया से परिचित कराया, जो बाद में बॉलीवुड थ्रिलर फिल्मों के विषय बन गए। धर्मेंद्र की एक्टिंग ने उन्हें एक्शन, रोमांस और ड्रामा जैसे रोल्स को बखूबी निभाने में प्रोफेशनल बना दिया।

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