भाईदूज पर लाड़ली बहनों को मुख्यमंत्री निवास बुलाने और फिर भी 250 रुपए की किश्त न देने को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार पर तीखा प्रहार किया है। पटवारी ने मुख्यमंत्री को खुला पत्र लिखा है। जिसमें कहा है कि लाड़ली बहन योजना को लेकर आपकी सरकार का दोहरापन फिर सामने आ चुका है।
पटवारी ने लिखा कि आपने भाईदूज पर लाड़ली बहनों के खाते में 250 रुपए भेजने की घोषणा की थी। प्रदेशभर से महिलाओं को राजधानी बुलाया भी, लेकिन वित्त विभाग की मंजूरी नहीं मिलने और बजट संकट के चलते बहनों के खाते खाली रह गए। क्या यही मध्य प्रदेश में “आत्मनिर्भर महिला” बनाने का "सरकारी-संकल्प" है? क्या अब भाजपा सरकार दिवाली और भाई दूज जैसे पर्व पर भी केवल भाषणों से ही “समृद्धि” के सपने दिखाएगी! क्या आप भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह "रजिस्टर्ड-झूठ" बोलने का नया रिकॉर्ड बनाएंगे?
राज्य में वित्तीय अराजकता की स्थिति
पटवारी ने कहा कि हर माह 5 से 5.5 हजार करोड़ रुपए कर्ज लेने वाली सरकार अब भावांतर भुगतान योजना का पैसा न दे पाने की स्थिति में किसानों से 1% मंडी शुल्क बढ़ाकर वसूली करने जा रही है। मुख्यमंत्री को स्वीकार करना चाहिए कि राज्य में वित्तीय अराजकता की स्थिति बन चुकी है। उन्होंने कहा-
मध्य प्रदेश की जनता को आप पर विश्वास था कि ‘डॉ.’ उपाधि के साथ सत्ता में आने वाला व्यक्ति संवेदनशीलता और सत्यनिष्ठा से शासन करेगा, लेकिन किसानों और महिलाओं के प्रति आपकी सरकार का रवैया उस विश्वास को पूरी तरह तोड़ चुका है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने भावांतर भुगतान योजना के लिए मंडी बोर्ड से 1500 करोड़ रुपए की मांग की है, लेकिन कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने साफ कहा है कि मंडी बोर्ड के पास इतनी आय नहीं है। अब समाधान के तौर पर मंडी शुल्क बढ़ाने का सुझाव दिया गया है, जिससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। पटवारी ने कहा कि यह वही भाजपा सरकार है जो मंचों से किसानों को राहत देने का दावा करती है, लेकिन हर बार ऐसे फैसले लेती है जो किसान की जेब खाली करते हैं।
1.12 लाख करोड़ का कर्ज लिया
पटवारी ने पत्र में लिखा है कि केवल जुलाई 2023 से सितंबर 2025 के बीच आपकी सरकार ने कुल 1.12 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नया कर्ज लिया है। औसतन हर महीने ₹5,000 से ₹5,500 करोड़ का कर्ज लेकर भी यदि सरकार के खजाने में रकम नहीं है तो यह स्पष्ट है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति अव्यवस्था और अराजकता के चरम पर पहुंच चुकी है।
मोहन भैया, स्वीकार करें, आपका शासन वित्तीय अराजकता के मोड़ पर
पटवारी ने कहा है कि प्रदेश की जनता पूछ रही है, जब हर महीने हजारों करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है तो जनता की योजनाओं में धनराशि क्यों रुक रही है? किसानों के लिए राहत की योजनाएं क्यों “राजनीतिक घोषणाएं” बनकर रह गई हैं? महिलाओं के स्वाभिमान की “लाड़ली बहन योजना” क्यों बजट की कमी का शिकार हो रही है?