बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली सूफी टोला में गुड मैरिज हॉल और एवान-ए-फरहत बारातघरों पर पिछले दो दिनों से चल रही बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) की बुलडोजर कार्रवाई फिलहाल रुक गई है। गुरुवार को ध्वस्तीकरण के तीसरे दिन जैसे ही याचिकाकर्ताओं की ओर से पहुंचे वकील ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश अधिकारियों को दिखाए, बीडीए टीम बुलडोजर समेत कार्रवाई रोके बिना लौट गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की अनुमति दी है और साथ ही सात दिन की अंतरिम सुरक्षा भी प्रदान की है।
सुप्रीम कोर्ट की ने की टिप्पणी
बारातघर संचालक फरहत जहां की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने साफ किया कि वह इस याचिका पर प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई नहीं करना चाहता, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिकाकर्ता हाई कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट में त्वरित सुनवाई की मांग कर सकते हैं। वे यह भी उल्लेख करें कि ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
आदेश आते ही रुकी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के आदेश दिखाए जाने के बाद बीडीए अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई रोक दी। टीम बिना कोई और कदम उठाए बुलडोजर वापस ले गई। आदेश के अनुसार, अगले सात दिनों तक बीडीए किसी भी तरह का ध्वस्तीकरण नहीं कर सकेगा। 26 सितंबर को बरेली में हुए बवाल के बाद पुलिस ने आरोपियों पर कार्रवाई तेज की थी और इसके साथ ही अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर ऐक्शन भी शुरू हुआ।
बीडीए उपाध्यक्ष ने की कार्रवाई
बीडीए उपाध्यक्ष डॉ. ए. मनिकंडन ने बुधवार को कहा था कि अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद फिलहाल इस पर रोक लग गई है। याचिकाकर्ता अब इस मामले में सात दिन के भीतर हाई कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल करेंगे। हाई कोर्ट का निर्णय आने तक बीडीए को कोई नई कार्रवाई नहीं करने के निर्देश हैं। मामले को लेकर शहर में चर्चा तेज है।