भोपाल, भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के मॉर्चुरी परिसर से जले हुए नवजात बच्चों के शव मिलने के मामले में नई जानकारी सामने आई है। दोनों शव जुड़वां बच्चों के थे, जिनकी प्रीमैच्योर डिलीवरी आठ महीने में हुई थी। हालांकि बच्चों को कचरे के साथ फेंकने और जलाने वाले की पहचान नहीं हो सकी है।
टीआई केजी शुक्ला के मुताबिक, मॉर्चुरी रूम में लगे सीसीटीवी कैमरों का डीवीआर जब्त की जाएगी। इसके लिए डीन को पत्र लिख दिया गया है।
पुलिस काे संदेह है कि किसी बिन ब्याही मां ने दोनों बच्चों को जन्म दिया। बदनामी के डर से ठिकाने लगाने का प्रयास किया। टीआई का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही साफ होगा कि फेंके गए शव बच्ची के थे कि बच्चे के। मॉर्चुरी परिसर के कर्मचारियों सहित वहां कार्यरत डॉक्टरों से पूछताछ की जाएगी। दोनों ही शव का गुरुवार को पीएम करा दिया गया।
सूचना देने वाले के बयान दर्ज पुलिस ने मामले की सूचना देने वाले कर्मचारी विनोद यादव के बयान दर्ज कर लिए। इसमें थाने में देरी से सूचना देने के संबंध में विनोद ने पुलिस को बताया कि शव मिलते ही अधीक्षक और डीन को सूचना दी। उनकी परमिशन मिलने के बाद पुलिस को सूचित किया गया। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में सूचना देने में करीब 10 घंटे से अधिक की देरी की गई।
नीले ड्रम में रखे थे दोनों शव सूचना के बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची, मॉर्चुरी परिसर में रखे नीले रंग के ड्रग में दोनों शव रखे थे। ड्रम को खोलने के बाद पुलिस ने दोनों शव की जब्ती बनाई, जिसके बाद पीएम के लिए मॉर्चुरी में ही सुरक्षित रखवा दिया।
घटिया सीसीटीवी के कारण अटकी जांच मॉर्चुरी परिसर में रात के समय में लाइट पर्याप्त नहीं थी। इसी के साथ यहां लगे सीसीटीवी कैमरे बेहद पुराने हैं, जिससे अंधेरे में फुटेज धुंधले कैप्चर होते हैं। इसी कारण फुटेज साफ नहीं मिले हैं। अब पुलिस डीवीआर को जब्त कर एक्सपर्ट्स के साथ फुटेज खंगालने का काम करेगी।
आठ महीने के थे नवजात फॉरेंसिक सूत्रों की मानें तो पीएम में इस बात की पुष्टि हुई है कि नवजात करीब आठ महीने में जन्मे थे। प्रीमेच्योर डिलीवरी के बाद बच्चे मृत पैदा हुए थे। दोनों ही शव के नाल नहीं कटी थीं। जल्द डिटेल पीएम रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी जाएगी।
घर पर डिलीवरी का अनुमान पीएम करने वाली डॉक्टरों की टीम का अनुमान है कि बच्चों का जन्म घर पर ही हुआ है। उनकी नाल नहीं कटी थी। दोनों बच्चों के शरीर की सफाई भी नहीं थी। वहीं पुलिस हमीदिया के गायनिक डिपार्टमेंट से हाल में जन्मे बच्चों का रिकार्ड मांग रही है। आसपास की बस्तियों में भी पुलिस हाल में जन्मे बच्चों की जानकारी जुटा रही है।
100 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात हमीदिया अस्पताल में 200 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। फिर भी दो नवजात बच्चों के शव मिलना गंभीर लापरवाही का संकेत है। इतने बड़े सरकारी अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होने की उम्मीद रहती है, लेकिन ऐसी घटना व्यवस्था पर सवाल भी खड़े करती है। अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज आते हैं और ऐसे माहौल में सुरक्षा चूक किसी भी बड़ी समस्या को जन्म दे सकती है।
आग बुझाने के बाद हुआ खुलासा कचरे में आग लगने पर अस्पताल प्रबंधन ने फायर ब्रिगेड को बुलाया। आग बुझाने के बाद जब टंकी की जांच की गई तो उसमें दो नवजात बच्चों के अधजले शव मिले। शवों पर प्लास्टिक और पन्नी चिपकी हुई थी। इसके बाद दोपहर करीब 2 बजे कोह-ए-फिजा पुलिस को सूचना दी गई।