भोपाल। वन क्षेत्रों के नजदीक के गांवों में हिंसक जंगली जानवरों का आना गंभीर खतरा पैदा कर देता है। वन विभाग की टीमें अक्सर कई-कई दिन पीछा करने के बाद भी जानवर को ट्रैक नहीं कर पातीं। अब ऐसी स्थिति में ट्रैकिंग और जानवर को पकड़ने का काम एआइ (Artificial intelligence) आधारित मशीन खुद करेगी। प्रहरी की थोड़ी सी चूक से दुश्मन का सीमा पार कर घुस आना लगभग असंभव हो जाएगा, क्योंकि एआइ आधारित प्रणाली कपड़ों से उसे पहचानकर फायर झोंक देगी।
जंगली जानवरों को खुद पकड़ेगी मशीन, सीमा पर कपड़ों से पहचान दुश्मन पर फायर झोंक देगा एआइ आधारित डिफेंस सिस्टम
यह मॉडल बाल विज्ञानियों की कल्पना से उपजे हैं, जिसे ये विद्यार्थी 52वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञानी प्रदर्शनी में लेकर पहुंचे हैं। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजधानी स्थित क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में इसका उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री के प्रदर्शनी के द्वार पर पहुंचने पर बाल विज्ञानियों द्वारा विकसित रोबोट ने उनका स्वागत किया।
मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों के बनाए मॉडल देखे और उनके संबंध में जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह, स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, राज्यमंत्री कृष्णा गौर, विधायक भगवानदास सबनानी, स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. संजय गोयल और लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता मौजूद रहीं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) व मप्र स्कूल शिक्षा विभाग के इस आयोजन में देश भर के 31 प्रदेशों से विद्यार्थी आधुनिक चुनौतियों का विज्ञान आधारित समाधान लेकर पहुंचे हैं।
शासकीय उमावि चूनाभट्टी के मयंक कुशवाहा और उनकी टीम ने बस कंडक्टर के सेफ्टी जैकेट प्रदर्शित की है। बताया कि अक्सर टिकट काटते समय जब बस चालक ब्रेक लगाता है या स्पीड बढ़ता है तो कंडक्टर आगे की ओर गिर जाता है तो इससे बचने के लिए इस जैकेट में हुक लगा है। कंडक्टर की जानकारी व ऑनलाइन पेमेंट के लिए जैकेट के ऊपर क्यूआर कोड है। एक सीटी भी लगाई है और अंधेरे में दिखने के लिए रेडियम पट्टी लगी हे। जैकेट में कई जेब बनी हैं, जिसमें कंडक्टर अपने जरूरी सामान रख सकता है।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर से आई उत्कर्ष वर्मा की टीम ने ”वाइल्ड एनीमल एंड ह्यूमन सेफ्टी एडवांस एआइ विजन” मॉडल पेश किया है। उत्कर्ष ने बताया कि मॉडल को तैयार करने में 5500 रुपये लगे हैं। इसमें गियर मोटर, वाई-फाई कैमरा, डीएनए सेंसर, सोलर फायरगन, ट्रेंकुलाइजर गन, पैनल व डाटा एनालाइजर आदि उपकरणों का प्रयोग किया गया है।
जहां कहीं भी जंगली जानवर पकड़ में नहीं आ रहे हैं, वहां एक रोबोट खेत में लगाया जाएगा। कुछ दूरी से रिमोट संचालित कैमरा व सेंसर युक्त ड्रोन उड़ेगा। ड्रोन के कैमरे में जानवर के नजर आते ही उसका कमांड रोबोट को मिलेगा। जानवर के 100 मीटर की रेंज में आते ही रोबोट ट्रेंकुलाइजर गन से बेहोशी का इंजेक्शन फायर कर देगा। इस मॉडल का सेंसर शरीर के बालों से बता देगा कि वह जानवर कौन सा है।
अमृतसर से सर्जेंटपाल सिंह व भूपिंदर की टीम एआइ पर आधारित डिफेंस सिस्टम बनाकर लाई है, जो सेना के काम आएगा। बताया गया कि इस मॉडल में उन्होंने कलर डिटेक्शन लगाया है। इसमें सेना की वर्दी का पैटर्न और रंग पहले से पड़ा हुआ है। अगर दूसरे रंग के कपड़ों वाला दुश्मन उसकी रेंज में आया तो यह सिस्टम तुरंत फायर कर देगा और दुश्मन वहीं ढेर हो जाएगा। अभी इस मॉडल में फेस रिकोग्निशन सिस्टम भी लगाया जाना है। यह सीमा की निगरानी पोस्ट पर तैनाती के बहुत काम आ सकता है।
कमला नेहरू सांदीपनि विद्यालय की छात्रा खुशी यादव और उनकीटीम ने ऑटोमेटिक कॉल डिटेक्टर हाईवे का मॉडल को प्रदर्शित किया है। बताया कि हाईवे पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इस मॉडल को बनाया गया है। अगर हाईवे पर दुर्घटना होती है तो उसमें लगे दो वायर आपस में घर्षण कर शार्टसर्किट करेंगे। इससे जुड़ा हुआ सेंसर सक्रिय होगा और अलार्म बजने लगेगा। ऐसे में दुर्घटना की रियल टाइम लोकेशन कंट्रोल रूम को मिल जाएगी।