भोपाल में नहीं होगा पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन:हाईकोर्ट ने लिया स्वत

भोपाल में पेड़ों की कटाई पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने पेड़ों की कटाई और ट्रांसप्लांटेशन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। गुरुवार को मामले पर चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा एवं जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। हाईकोर्ट ने भोपाल में 488 पेड़ काटे जाने के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है।

मामले में बताया गया कि 17 नवंबर को प्रकाशित खबर हुई थी। रेलवे के एक अन्य प्रोजेक्ट में राजधानी में 8000 से अधिक पेड़ों की कटाई हो चुकी है। 488 बचे हैं। कोर्ट ने इसे गंभीर पर्यावरणीय खतरा मानते हुए तुरंत रोक लगाने के निर्देश दिए।

हस्तक्षेपकर्ता हरप्रीत सिंह गुप्ता ने प्रकाशित खबर के जरिए 17 और 20 नवंबर को प्रकाशित खबरों को लेकर बताया कि पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के बजाय उनकी बड़ी मात्रा में शाखाएं और हिस्से काटकर उन्हें समाप्त किया जा रहा है। बताया गया कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद कटाई जारी है और पेड़ों को जिस तरह से परिवहन किया जा रहा है, उसमें उनके जीवित बचने की कोई संभावना नहीं है।

हाईकोर्ट को बताया गया कि रेलवे के अन्य प्रोजेक्ट में भी हजारों पेड़ कट रहे हैं। सुनवाई के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि मध्यप्रदेश में पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन की कोई पॉलिसी ही मौजूद नहीं है, फिर भी विभागों ने ‘शिफ्टिंग’ के नाम पर भारी संख्या में पेड़ काटने की अनुमति दे दी। सुनवाई पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि बिना शाखाओं वाले तनों को कहीं और गाड़ देने से वे जीवित नहीं रह सकते, यह ‘ट्रांसप्लांटेशन’ नहीं बल्कि सीधी कटाई है।

हाईकोर्ट ने मामले में गहरी नाराजगी जताते हुए विधानसभा सचिवालय, भोपाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई में स्वयं उपस्थित होने का आदेश दिया है।

साथ ही कहा कि अब तक ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की तस्वीरें भी कोर्ट में प्रस्तुत करनी होंगी। अदालत ने स्पष्ट कहा कि अब फाइलों के आधार पर नहीं, बल्कि अधिकारी स्वयं सामने आकर जवाब देंगे। मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को निर्धारित की गई है।

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