वाराणसी: कोडीन युक्त कफ सिरप के नाम पर नशे का कारोबार करने वाले सौदागरों ने बनारस को अपने धंधे का ‘गेट वे’ बना लिया है। इसी ‘गेट वे’ के जरिए प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सिरप बांग्लादेश और नेपाल भेजी जाती थी, जहां इस सिरप का इस्तेमाल दवा के रूप में नहीं, नशे के लिए किया जाता है। यह खुलासा खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) विभाग द्वारा पिछले दिनों कोडीन युक्त कफ सिरप की तलाश में की गई छापेमारी की पड़ताल में हुआ है।
यह है रूट:
यूपी में अब तक अलग-अलग जगहों पर हुई छापेमारी में सामने आया है कि कोडीन युक्त कफ सिरप विभिन्न नामों से हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में स्थित दवा की फैक्ट्रियों से बनवाया गया था। यह प्रतिबंधित कफ सिरप फैक्ट्रियों से सीधे गाजियाबाद पहुंचता है और वहां से आगरा के जरिए उसे बनारस लाया जाता है। बनारस के रास्ते इन सिरप को ट्रकों से पश्चिम बंगाल के जरिए बांग्लादेश और बिहार के रास्ते नेपाल भेजा जाता है।
एमपी में हुई बच्चों की मौत के बाद से यूपी में FSDAने इस प्रतिबंधित सिरप को लेकर अभियान चलाया है। लेकिन, अभियान में तेजी आई गाजियाबाद में इन प्रतिबंधित सिरप की बरामदगी के बाद। चार नवंबर को गाजियाबाद पुलिस ने चार ट्रकों से 1.57 लाख कोडीन युक्त कफ सिरप का जखौरा पकड़ा और आठ लोगों को गिरफ्तार किया।
प्रतिबंधित कोडीनयुक्त कफ सिरप की तस्करी का खुलासा होने के बाद शुरू हुई जांच में एक के बाद एक कई चौकाने वाली बातें सामने आ रही है। नशीले कफ सिरप की तस्करी में शामिल रांची की शैली ट्रेडर्स ने वाराणसी की 109 फर्मों को फर्जी बिलों से 100 करोड़ से ज्यादा के सिरप सप्लाई करना दिखाया था।
छानबीन में इनमें से कई फर्मे फर्जी निकली। फर्म के पते पर झोपड़ी या जनरल स्टोर पाए गए हैं। सारनाथ की एक दुकान पर नाबालिग नमकीन बेचते मिला। 20 थोक लाइसेंसधारियों के पते पर हकीकत जानने पहुंची टीमों को पता चला कि सभी फर्मे बोगस है।