जामताड़ा: देश को आजादी मिले हुए 78 वर्ष बीत गए, लेकिन इन 78 वर्ष में जामताड़ा जिले के पहरुडीह गांव वालों को एक सड़क भी नसीब नहीं हुई। आखिर में स्थानीय ग्रामीणों ने होने वाली परेशानियो को देखते हुए अपनी जमीन दान दे दी। इसके बाद मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से सड़क बनाने को मंजूरी मिली। पहरुडीह गांव, नारायणपुर और करमाकर प्रखंड के सीमा क्षेत्र से घिरा हुआ है। नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र में आने वाले पहरुडीह गांव और रघुनाथपुर के बीच 2.1 किलोमीटर सड़क के शिलान्यास से यहां के लोगों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है। वर्षों की मांग आज जाकर पूरी हुई है। रविवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने सड़क का शिलान्यास किया।
60 आदिवासी परिवारों का संघर्ष
पारूडीह गांव में 60 घर आदिवासी समुदाय के हैं, जिसकी आबादी लगभग 450 है। यह समुदाय आजादी के समय से गांव में पक्की सड़क की मांग कर रहा था, लेकिन अभी तक सड़क का निर्माण नहीं हो सका। अंततः ग्रामीणों ने तय किया कि सड़क के लिए वह जमीन दान करेंगे। जब लोगों ने एकमत होकर सरकार को अपनी जमीन दान दी, तब जाकर 16 नवंबर रविवार को मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से इस गांव में सड़क बनाने की मंजूरी मिली।
स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचना था बड़ी चुनौती
गांव से नजदीकी उप-स्वास्थ्य केंद्र पबिया 6 किमी दूर है, जबकि जामताड़ा सदर अस्पताल 7 किमी दूर स्थित है। खराब रास्तों की वजह से एंबुलेंस का गांव तक पहुंचना मुश्किल होता था। बरसात के दिनों में यहां हालात और खराब हो जाते हैं। मजबूरी में ग्रामीण मरीजों को खाट या हाथगाड़ी पर उठाकर मुख्य सड़क तक ले जाते थे। इसके चलते कई बार इलाज के अभाव में लोगों की मौत भी हो जाती थी। गांव के अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर हैं। मनरेगा से ही रोजगार मिलता है।
गांव में अन्य सुविधाओं का भी अभाव
गांव के विकास की बात कर तो अभी तक इस गांव में पानी टंकी भी नहीं लगी है। सरकार के निर्देश पर जामताड़ा सहित पूरे राज्य में ‘आदि कर्म योगी’ अभियान संचालित किया जा रहा है, लेकिन इस अभियान के बारे में यहां के लोग अब तक अनजान है। ग्रामीणों की मानें तो प्रखंड या जिला स्तर से शायद ही कभी किसी अभियान को लेकर इस गांव में कोई पहल हुई हो।
क्या कहते हैं पहरूडीह गांव के लोग?
पहरूडीह गांव के निवासी रासमुनि किस्कू ने बताया कि हमारे गांव में आजादी के पहले से पक्की सड़क नहीं थी। इसकी लगातार मांग कर रहे थे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जब गांव वालों ने जमीन दान में दी, उसके बाद जाकर सड़क बनने का काम शुरू हुआ है। सड़क निर्माण कार्य के शिलान्यास से हम लोग काफी खुश हैं।
वहीं गांव की महिला अनीती मुर्मू ने बताया कि गांव में सड़क नहीं रहने के कारण लोगों को काफी परेशानी होती थी, खासकर मरीज को अस्पताल ले जाने में। हम लोग खटिया पर मरीज को पवैया स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाते थे। अब सड़क बन जाने से हम लोगों को एंबुलेंस की सुविधा मिल सकेगी।
ग्रामीण रतन मरांडी ने बताया कि आजादी के 78 वर्ष बाद हम लोगों को पक्की सड़क मिलेगी, वह भी तब जब गांव वालों ने सड़क के लिए जमीन दान में दिया है। यहां के लोग काफी परेशानियों से गुजर रहे थे। अब जाकर इनके हालत में सुधार आने की उम्मीद है।
क्या कहती हैं जिला पंचायत सदस्य?
जिला पंचायत सदस्य दीपिका बेसरा ने बताया कि परुडी के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था खासकर बरसात के दिनों में यहां की स्थिति न किए हो जाती थी ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रयास से आज इस जगह पर सड़क निर्माण का शिलान्यास किया गया है अब यहां के विकास में कोई बाधा नहीं आएगी।