राजनांदगांव। खैरागढ़ रियासत के दानवीर राजा विरेन्द्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी के योगदान को राज्य में कला संरक्षण की ऐतिहासिक नींव माना जाता है।
कला बिरादरी और बुद्धिजीवी वर्ग ने छत्तीसगढ़ शासन से मांग की है कि चक्रधर सम्मान की तर्ज पर शास्त्रीय संगीत, नृत्य और ललित कलाओं में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कलाकारों को ‘राजा विरेन्द्र बहादुर सिंह–रानी पद्मावती सम्मान’ शुरू किया जाए।
विदित हो कि रायगढ़ के राजा चक्रधर सिंह और खैरागढ़ शाही परिवार का शास्त्रीय एवं ललित कलाओं के संरक्षण में अद्वितीय योगदान रहा है। वर्ष 1956 में राजा विरेन्द्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी ने अपनी पुत्री राजकुमारी इंदिरा की स्मृति में कला-संवर्धन के उद्देश्य से अपना पैतृक राजमहल इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु दान कर दिया था। यह विश्वविद्यालय एशिया का प्रथम संगीत विश्वविद्यालय होने का गौरव रखता है।चक्रधर कथक कल्याण केन्द्र के संस्थापक और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, संबंधित मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि कला संरक्षण की इस विरासत को सम्मानित करने के लिए नया राज्य स्तरीय सम्मान प्रारंभ किया जाए।