कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ दिल्ली का राउज एवेन्यू कोर्ट फैसला आ सकता है। ये मामला तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे के दौरान पिता-पुत्र की हत्या से जुड़ा है।
घटना 1 नवंबर 1984 को हुई थी। पश्चिमी दिल्ली के राज नगर पार्ट-1 में सरदार जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम करीब 4.30 बजे दंगाइयों भीड़ ने उनके घर इलाके में हमला किया था।
आरोप है कि भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे। सज्जन कुमार पर मृतकों के परिवार से साथ मारपीट का भी आरोप है। दिल्ली के सरस्वती विहार थाने में इस मामले में केस दर्ज किया गया था।
सज्जन कुमार के खिलाफ दंगा, हत्या और डकैती के आरोप में आईपीसी (अब BNS) की धारा 147, 149, 148, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436, 440 के तहत केस दर्ज किया गया था।
दरअसल, 31 अक्टूबर 1984 को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षाकर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। ये दोनों सिख समुदाय से थे। इसके बाद देश में दंगे भड़क गए थे।
सज्जन कुमार को दक्षिणी दिल्ली के राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों को मारने और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे को जलाने का दोषी पाया गया था।
16 दिसंबर 2024 को टाला गया था फैसला
16 दिसंबर को हुई सुनवाई में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार पर फैसला टाल दिया था। फैसले की तारीख 8 जनवरी रखी गई थी। 8 जनवरी को सुनवाई के बाद फैसला दोबारा टाला गया था। दोनों बार विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की कोर्ट में तिहाड़ में बंद सज्जन कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुआ था।
दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी। ट्रायल में सज्जन कुमार को दोषी माना गया था। इसके बाद उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
3 लोगों की हत्या मामले में हो चुके बरी
जुलाई 2010 में कड़कड़डूमा कोर्ट ने सज्जन कुमार , ब्रह्मानंद, पेरु, कुशल सिंह और वेद प्रकाश के खिलाफ 3 लोगों की हत्या के मामले में आरोप तय किया था। सुल्तानपुरी दंगे में CBI की एक अहम गवाह चाम कौर ने आरोप लगाया था कि सज्जन कुमार भीड़ को भड़का रहे थे।
13 साल बाद 20 सितंबर 2023 को राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार सहित अन्य आरोपियों को इस मामले में बरी किया था।
क्या है सिख विरोधी दंगा
सिख विरोधी दंगा 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़का था। इंदिरा गांधी ने पंजाब में सिख आतंकवाद को दबाने के लिए सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्णमंदिर परिसर में ऑपरेशन ब्लूस्टार चलवाया था जिसमें आतंकी भिंडरावाला सहित कई लोगों की मौत हो गई थी। सिख इस घटना से नाराज थे।
इसके कुछ दिन बाद ही इंदिरा गांधी की उनके ही सिख अंगरक्षकों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही देशभर में सिख विरोधी दंगे शुरू हुए हो गए जिसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली और पंजाब में देखा गया था। दंगों के दौरान करीब साढ़े तीन हजार लोगों की मौत हुई थी।