बड़े स्टार के लिए कहानी को छोटा बनाना पड़ता है, नए के साथ ज्यादा मौके मिलते हैं
फिल्म 'रॉक ऑन' से फरहान अख्तर, 'काई पो चे' से सुशांत सिंह राजपूत और 'केदारनाथ' से सारा अली खान को बड़े पर्दे पर लॉन्च करने वाले डायरेक्टर अभिषेक कपूर ने अपनी नई फिल्म 'आजाद' में भी दो नए चेहरों राशा थडानी और अमन देवगन को लॉन्च किया है। आखिर, क्यों लुभाता है उन्हें नए एक्टर्स का साथ? इंडस्ट्री के मौजूदा हालात पर क्या है उनकी राय? जानिए, उनसे ही:
'रॉक ऑन', 'काई पो चे', 'केदारनाथ' जैसी फिल्मों के निर्देशक अभिषेक कपूर एक अलग तरह का प्रयोगात्मक सिनेमा बनाने के साथ-साथ पर्दे पर नए कलाकारों को मौका देने के लिए भी जाने जाते हैं। अपनी ताजातरीन फिल्म 'आजाद' से भी उन्होंने दो नए चेहरों अमन देवगन और राशा थडानी को लॉन्च किया है। हालांकि, अभिषेक का कहना है कि वह ऐसा नहीं सोचते कि उन्हें नए एक्टर को लॉन्च करना है, वह बस अपनी फिल्म के किरदार की तलाश करते हैं, लेकिन वह यह भी मानते हैं कि नए एक्टर्स के साथ नया अनुभव क्रिएट करने के मौके ज्यादा होते हैं, जबकि बड़े स्टार के लिए कहानी को छोटा करना पड़ता है।
स्टार के लिए कहानी बदलनी पड़ती है
बकौल अभिषेक कपूर, 'मैं न्यूकमर नहीं ढूंढता हूं। मै किरदार में फिट होने के लिए एक्टर ढूंढता हूं। मेरी कहानी की जो मांग होती है, वैसे लड़के-लड़की की खोज करता हूं। उसके लिए बहुत से लोगों से मिलता हूं। जो लगता है कि ये सही रहेंगे, उनके साथ काम करता हूं। कई बार वे किरदार में बिल्कुल फिट नहीं भी होते हैं, पर न्यूकमर के साथ एक ताजगी, एक नयापन आता है। उनमें एक मासूमियत होती है। उनकी कुछ खूबियां होती है, कुछ खामियां होती है और जब डायरेक्टर उन गुणों को कैरेक्टर में डालता है, तब एक अलग किस्म का जादू हो सकता है। जबकि, बड़े स्टार के साथ काम करो, तो वे कहानी को अपनी तरफ मोड़ देते हैं। वे अपने फैंस के हिसाब से सोचते हैं, जिसका मतलब कहानी को बदलना होता है। फिर उनकी एंट्री और एग्जिट भी कमाल की करनी पड़ती है और वो एक अलग किस्म का सिनेमा बन जाता है। ऐसे में, आप ऑडियंस को कुछ नया नहीं दे पाते। एक पहले से खेले हुए एक्टर के साथ आप कितना नया खेलेंगे। फिर वो बड़ा स्टार आपको खेलने की छूट भी दे, नहीं तो बहुत मुश्किल हो जाता है। नए एक्टर के साथ आप एक नया एक्पीरियंस क्रिएट कर सकते हैं, जो लोगों ने पहले नहीं देखा है। मेरी कोशिश हमेशा ऑडियंस को कुछ नया देने की रही है।'
प्रयोग करने वालों को इंडस्ट्री डराती है
इंडस्ट्री में जो प्रॉजेक्ट मेकिंग का दौर चल रहा है। जैसे अनुराग कश्यप ने बोला कि कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहा, नए लोगों के साथ एक्सपेरिमेंट करना नहीं चाह रहा, उस पर अभिषेक की क्या राय है? यह पूछने पर वह कहते हैं, 'आप भी इंडस्ट्री के बारे में स्टडी करती होंगी तो आपको भी लगता होगा कि यार, नया कुछ आता ही नहीं है। नए एक्टर आते ही नहीं है। वही ऐक्शन टाइप का कुछ बनता रहता है, क्योंकि कुछ नया करने की कोशिश करो, तो इंडस्ट्री आपको डराती बहुत है। जब मैंने रॉक ऑन किया था, तब भी लोगों ने कहा कि ये क्या है। ये नहीं चलेगा। जब रॉक ऑन का म्यूजिक आया, तब भी कहा गया कि ये कमर्शल म्यूजिक नहीं है, पर कमर्शल म्यूजिक क्या होता है। धुन अच्छी हो, कहानी अच्छी हो तो लोग पसंद करते हैं, भले वो राॅक ऑन हो या काई पो चे हो या फिर केदारनाथ, सभी अलग थीं, मगर आज लोग वही घिसी-पिटी चीजें बना रहे हैं और सोचते हैं कि इसी से काम चला लें, तो ये इंडस्ट्री कहीं न कहीं दम तोड़ रही है। इसलिए, कुछ डायरेक्टर जो आजकल नाराज हैं और कुछ बातें कह रहे है, मैं उनकी बातों से सहमत हूं। इसलिए, मैं अपनी फिल्म के प्रड्यूसर रॉनी स्क्रूवाला को दाद देना चाहूंगा, जो इस माहौल में ऐसी फिल्म बनाने को तैयार हो गए, जिसमें एक घोड़ा केंद्र में है। फिल्म का चलना या ना चलना एक बात है, मगर कमाल यही है कि कोई बिजनेस को निकालकर क्रिएटिविटी को चांस दें।'
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