डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने की कोशिश! आयात की जाने वाली चीजों की समीक्षा कर रही सरकार
नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर वापसी हो गई है। इसके साथ ही भारत सरकार भी आयात की जाने वाली चीजों की समीक्षा कर रही है। इसका मकसद यह पता लगाना है कि क्या दूसरे देशों से इंपोर्ट की जा रही कुछ चीजों को अमेरिका से आयात किया जा सकता है। इससे अमेरिका का साथ ट्रेड बैलेंस को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। ट्रंप ने पहले ही भारत में हाई इंपोर्ट टैरिफ अपनी चिंताएं जाहिर कर दी हैं। साफ है कि वह इसे भारत में अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा देने में बाधा के रूप में देखते हैं। ट्रंप भारत को 'टैरिफ किंग' बता चुके हैं। सूत्रों ने संकेत दिया कि सरकार अमेरिका की कुछ विशिष्ट चिंताओं को दूर करने की उम्मीद कर रही है। साथ ही कुछ उत्पादों के आयात के स्रोत को बदलने की भी कोशिश कर रही है।
माना जा रहा है भारत के प्रति अमेरिका का रुख चीन के विपरीत होगा। यानी ट्रंप प्रशासन भारत के साथ बातचीत करने के लिए अधिक खुला होगा ताकि दोनों देशों के लिए फायदेमंद सौदा किया जा सके। उनके पहले कार्यकाल के दौर के कुछ पेचीदा मुद्दों को सुलझाया जा सकता है। भारत ने अमेरिका से डिफेंस इक्विपमेंट और एयरप्लेन के साथ-साथ कच्चे तेल का आयात भी बढ़ाया है। भारत का अमेरिका के साथ बड़ा ट्रेड सरप्लस है।
अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस
चीन के बाद अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस $21 अरब से अधिक रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत के पास 77.5 बिलियन डॉलर के निर्यात पर 35 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस था। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अक्सर ट्रेड के आंकड़ों में सर्विसेज के डेटा को शामिल नहीं किया जाता है। अमेरिका की तरफ से वीजा साइड पर दबाव रहा है। लेकिन खासकर जब पेशेवरों की बात आती है तो माना जा रहा है कि कुशल श्रमिकों की जरूरत को देखते हुए भारत एक आकर्षक स्रोत बना रहेगा। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) तेजी से उभर रहा है।
प्राइवेट सेक्टर पर दांव
सरकार ने फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कुछ क्षेत्रों की पहचान की है जहां चीनी आयात पर टैरिफ में वृद्धि के कारण भारत को फायदा मिल सकता है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि चीन पर लगाए जाने वाले कई सुरक्षा प्रतिबंधों के साथ भारत एक आकर्षक दांव के रूप में उभर सकता है। लेकिन इसके लिए देश के भीतर उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी की आवश्यकता होगी। सरकार इसके लिए प्राइवेट सेक्टर को प्रेरित कर रही है। साथ ही इनमें से कुछ प्रोडक्ट्स के लिए भारत को एक बड़ा प्रोडक्शन बेस बनाने के लिए एक मजबूत ईकोसिस्टम बनाने पर भी काम चल रहा है।
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